Bamboo In China: चीन में इन दिनों बांस का इस्तेमाल बढ़ रहा है. चीन की ओर से यह ईको फ्रेंडली पर्यावरण बनाने की एक पहल है. चीन में बांस का एक पुल बनाने के साथ ही छत बनाने के काम भी आ रहा है.
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World Longest Bamboo Bridge: चीन में बुनियादी ढांचे के लिए बांस आधारित टिकाऊ और मजबूत सामग्री बनाने के लिए वैज्ञानिक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर कर रहे हैं, जिससे देश में एक उभरते हुए ईको फ्रेंडली उद्योग में एक लीडर के तौर पर स्थापित करने में मदद करेगी. बांस अपनी तेज वृद्धि और मजबूत ताकत के लिए जाना जाता है. इसका इस्तेमाल दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री पुल हांगकांग-जूहाई-मैकाओ पुल पर स्थित विशाल प्लेटफॉर्म पर किया गया था.
बांस से बनाया गया पुल
'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' के मुताबिक चीन ने दुनिया के सबसे बड़े समुद्री क्रॉसिंग पुल पर भी बांस का इस्तेमाल किया है. इसके इंस्टॉल करने के 6 साल बाद भी बांस आधारित पैनल सूर्य की रोशनी और तूफान के बीच मजबूती से खड़ा है. इतना ही नहीं यह पानी के टपकने की समस्या को भी रोकता है. 'नानजिंग फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के बैंबू रिसर्च इंस्टीट्यूट' के लू झिचाओ ने कहा कि दुनियाभर में ज्यादातर बांस विकासशील देशों में उगाया जाता है. चीन न केवल दुनिया का सबसे बड़ा बांस प्रोड्यूसर है बल्कि इसे प्रोसेस करना भी काफी आसान है.
बांस का बढ़ा इस्तेमाल
लू की टीम ने पिछले एक दशक से कम-कार्बन बैंबू प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर काम किया है. रिसर्चर्स ने हैंग्जो-आधारित दासुओ टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर मैड्रिड-बाराजास अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 240,000 वर्ग मीटर (258,300 वर्ग फुट) की एक घुमावदार बांस की छत बनाई, जो दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी है.
बांस वैसे तो एक पौधा होता है, लेकिन इसमें स्टील के मुकाबले कुछ अधिक ताकत होती है. यह कई मामलों में लकड़ी, प्लास्टिक और स्टील की जगह भी ले सकता है. इसके अलावा यह औसत पेड़ों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है.
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बांस का व्यापार बढ़ा रहा चीन
बता दें कि चीन में दुनिया के सबसे बड़े बांस के जंगल हैं और यह वैश्विक व्यापार पर हावी है, जिसमें लगभग 50 मिलियन लोगों को देश भर में बांस की खेती से लाभ मिलता है, हालांकि बांस में मौजूद पोषक तत्वों के कारण यह सड़ भी सकता है. वहीं लकड़ी के मुकाबले इसको प्रोसेस कर पाना भी थोड़ा कठिन है. लू के मुताबिक बांस से बने कई सामानों पर विषाक्त संरक्षक या अत्यधिक चिपकाऊ पदार्थों की निर्भरता होती है, जिससे यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है. लू और उनकी टीम एक कार्बन फुटप्रिंट पर काम कर रही है, जिसका चीन में निर्मित बांस के सामानों का यूरोप और उत्तरी अमेरिका के सख्त कार्बन मानकों के अनुरूप हों.