Pakistan News: 'आगे बढ़ना है तो भारत का एजुकेशन सिस्टम अपनाओ...', पाकिस्तान को किसने दे दी ये नसीहत?
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Pakistan News: 'आगे बढ़ना है तो भारत का एजुकेशन सिस्टम अपनाओ...', पाकिस्तान को किसने दे दी ये नसीहत?

Pakistan News in Hindi: भारत के एजुकेशन सिस्टम की अब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी तारीफ हो रही है. एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने आगे बढ़ने के लिए पाकिस्तान को भारतीय शिक्षा प्रणाली अपनाने की सलाह दी है. 

 

Pakistan News: 'आगे बढ़ना है तो भारत का एजुकेशन सिस्टम अपनाओ...', पाकिस्तान को किसने दे दी ये नसीहत?

ADB advises Pakistan to Adopt Indian Education Scheme: एशियाई विकास बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को खराब शिक्षा प्रणाली को सुधारने और अपने नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारत की योजना ‘उल्लास’ को अपनाने की सलाह दी है. समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ (उल्लास) को भारत सरकार द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में निरक्षरों और औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित वयस्कों की सहायता के लिए शुरू किया गया था. 

भारत जैसी योजना लागू करे पाकिस्तान- ADB

समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक, मनीला आधारित एडीबी ने यह टिप्पणी पाकिस्तान द्वारा अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने तथा स्कूल न जाने वाले सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता का अनुरोध किए जाने के जवाब में की है. एडीबी ने सिफारिश की है कि सरकार एक रणनीतिक और बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाए तथा भारत सरकार की नई केन्द्र प्रायोजित ‘उल्लास’ जैसी योजनाओं को लागू करे. 

मोदी सरकार की योजना का मुरीद हुआ एशियन बैंक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सभी के लिए शिक्षा’ के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए पांच वर्ष की अवधि के लिए नई केन्द्र प्रायोजित योजना ‘उल्लास’ को मंजूरी दी थी. भारतीय ‘उल्लास’ योजना का लक्ष्य न केवल बुनियादी साक्षरता उपलब्ध कराना है, बल्कि इसमें 21वीं सदी के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी शामिल हैं. 

शिक्षा के मामले में बुरी तरह पिछड़ा हुआ है पाकिस्तान

इन कौशलों में वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य सेवा जागरूकता, बाल देखभाल और शिक्षा तथा परिवार कल्याण शामिल हैं. पाकिस्तान के योजना आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की शिक्षा प्रणाली ठीक नहीं है. इस्लामाबाद को छोड़कर, सभी 134 जिले शिक्षण परिणामों से लेकर सार्वजनिक वित्तपोषण तक के संकेतकों में पिछड़ रहे हैं. 

(एजेंसी भाषा)

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