Explained: 22 साल बाद बड़े परदे पर दिखा वो मंजर, मोदी-शाह भी बोल पड़े, उस रोज साबरमती एक्सप्रेस में हुआ क्या था?
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Explained: 22 साल बाद बड़े परदे पर दिखा वो मंजर, मोदी-शाह भी बोल पड़े, उस रोज साबरमती एक्सप्रेस में हुआ क्या था?

The Sabarmati Report Movie: हाल ही में बड़े पर्दे पर रिलीज हुई फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' में 2002 के गोधरा कांड की कहानी दिखाई गई है. 27 फरवरी, 2002 की सुबह गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की S6 बोगी को आग के हवाले कर दिया गया था. गोधरा ट्रेन अग्निकांड में अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू तीर्थयात्री और कारसेवक मारे गए थे.

Explained: 22 साल बाद बड़े परदे पर दिखा वो मंजर, मोदी-शाह भी बोल पड़े, उस रोज साबरमती एक्सप्रेस में हुआ क्या था?

The Sabarmati Report: बीते शुक्रवार एक ऐसी फिल्म थियेटर्स में रिलीज हुई, जिसे देखने की अपील खुद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. इस फिल्म का नाम है - द साबरमती रिपोर्ट. विक्रांत मैसी की केंद्रीय भूमिका वाली यह फिल्म 27 फरवरी, 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड पर आधारित है. उस रोज गोधरा स्टेशन के पास खड़ी साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर S6 में आग लगा दी गई थी. अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू कारसेवक जिंदा जल गए थे. मरने वालों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे भी शामिल थे. उसके बाद पूरे गुजरात में जो दंगा भड़का, वह आजाद भारत के सबसे भयावह दंगों में से एक था. मोदी उस समय गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे.

अब 'द साबरमती रिपोर्ट' के जरिए बड़े परदे पर गोधरा कांड का खौफनाक मंजर दिखा है. पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने 'द साबरमती रिपोर्ट' को एंडोर्स किया है. 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बारे में आपको शायद फिल्म से पूरी जानकारी न मिले. गोधरा कांड की पूरी कहानी आगे पढ़‍िए.

2002 गोधरा ट्रेन अग्निकांड की पूरी कहानी

27 फरवरी, 2002 की सुबह करीब पौने आठ बजे. मुजफ्फरनगर से निकली साबरमती एक्सप्रेस अब गोधरा पहुंचने वाली थी. ट्रेन करीब चार घंटे की देरी से चल रही थी. अहमदाबाद जा रही ट्रेन में कम से कम 2,000 कारसेवक अयोध्या से सवार हुए थे. ये सभी विश्व हिंदू परिषद के बुलावे पर पूर्णाहुति महायज्ञ में भाग लेने अयोध्या गए थे. यह महायज्ञ राम मंदिर आंदोलन का एक हिस्सा था.

VIDEO: पीएम मोदी ने की 'द साबरमती रिपोर्ट' की तारीफ; तो विक्रांत मैसी ने कही ये बात

साबरमती एक्सप्रेस अभी गोधरा स्टेशन पर पहुंची ही थी कि सैकड़ों की संख्या में भीड़ ने धावा बोल दिया. S6 कोच में बाहर से आग लगा दी गई. कोच में सवार 59 यात्री जलकर मर गए. उनमें 27 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल थे. ट्रेन में सवार 48 अन्य यात्री घायल हो गए.

गोधरा में ट्रेन जलाए जाने की भयानक घटना का परिणाम पूरे राज्य में हिंसक दंगों की शक्ल में सामने आया. कुछ ही घंटों के भीतर पूरा गुजरात जल उठा था. केंद्र सरकार ने 2005 में राज्यसभा को बताया था कि दंगों में 254 हिंदुओं और 790 मुसलमानों की जान गई थी. कुल 223 लोग लापता बताए गए थे. हजारों लोग बेघर भी हो गए थे.

गोधरा कांड: जांच में क्या सामने आया?

नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम बने अभी साल भर भी नहीं हुआ था. तत्कालीन मोदी सरकार ने एक जांच आयोग का गठन किया था. उस आयोग में जस्टिस जी टी नानावटी और जस्टिस के जी शाह शामिल थे. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मारे गए 59 लोगों में से अधिकतर कारसेवक थे. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जस्टिस यूसी बनर्जी की अध्यक्षता में एक अलग जांच आयोग का गठन किया. इस आयोग ने मार्च 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस घटना को एक दुर्घटना बताया.

सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को असंवैधानिक और अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल का गठन किया. आयोग द्वारा अपनी जांच पूरी करने से पहले ही मार्च 2008 में जस्टिस केजी शाह की मृत्यु हो गई. उनकी जगह जस्टिस अक्षय एच मेहता ने ली. जस्टिस नानावती और जस्टिस अक्षय मेहता ने उसी साल नानावती-शाह आयोग की अंतिम रिपोर्ट पेश की, जिसमें ट्रेन में आग लगाने की घटना को एक साजिश बताया गया.

अदालत से क्या फैसला आया?

गोधरा कांड और उसके बाद भड़के दंगों ने भारत की राजनीति को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया. इस मामले में अदालती कार्रवाई जून 2009 से, घटना के आठ साल बाद शुरू हुई. स्पेशल SIT कोर्ट ने 1 मार्च, 2011 को 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अदालत ने इस मामले में 63 लोगों को बरी भी किया. एसआईटी कोर्ट ने उन आरोपों से सहमति जताई कि यह अनियोजित भीड़ द्वारा की गई घटना नहीं थी, बल्कि इसमें साजिश शामिल थी. 31 दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की आपराधिक साजिश, हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था.

गुजरात सरकार ने बाद में आरोपियों को बरी किए जाने पर सवाल उठाए. जिन्हें दोषी ठहराया गया, उन्होंने भी गुजरात हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने मामले में कुल 31 दोषियों को दोषी ठहराया था और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. अब मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है. गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील की है, कई दोषियों ने मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है.

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फिल्म 15 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. सोमवार को दिल्ली में 'द साबरमती रिपोर्ट' की खास स्क्रीनिंग रखी गई. विक्रांत मैसी के साथ बीजेपी नेता मनोज तिवारी, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और अन्य नेता फिल्म देखने पहुंचे. तिवारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि जिसने साबरमती रिपोर्ट मिस कर दी वो इस देश की एक ऐसी छिपाई हुई घटना को मिस कर जाएगा जिसको जानना प्रत्येक नागरिक के लिए जरूरी है. मैं एकता कपूर जी को बहुत धन्यवाद देता हूं. फिल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता ने मिलकर कमाल का काम किया है. फिल्म बहुत बड़ी हिट भी होगी और बहुत बड़ी जानकारी भी देगी.'

बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा, 'साबरमती फिल्म के माध्यम से स्पष्ट दिख रहा है कि कैसे तत्कालीन मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए गुजरात की सरकार को बदनाम करने के लिए भारत की उस समय की सरकार ने पूरी तरह खेल रचने का काम किया और यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कुछ लोग मीडिया के साथी को जोड़कर उस समय के मुख्यमंत्री मोदी जी को बदनाम करने का प्रयास किया गया... मैं फिल्म के माध्यम से सच्चाई सामने लाने के लिए फिल्म के सभी साथी को धन्यवाद देना चाहता हूं. सच्चाई जब देश के सामने आएगा तो पूर्णरूप से स्पष्ट हो जाएगा कि जनता के बीच जो भ्रम फैलाने का काम किया गया वो पूरी तरह से बेनकाब हो रहे हैं....'

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा, 'हमने यह फिल्म देखी और गोधरा कांड के बारे में सबको पता है और ये इतिहास में लिखा जाएगा कि क्या हुआ था. सबको पता है कि क्या हुआ था... सच हमेशा सच ही रहेगा और आज ये फिल्म देखने के बाद हम सबको यह महसूस हुआ और ये बहुत ही दर्दनाक घटना हुई थी… मैं सबको कहना चाहता हूं कि यह फिल्म जरूर देखें...'

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