Norway Electric Car Superpower: यूके में जनवरी में रजिस्टर्ड नई कारों में से केवल 14.7% इलेक्ट्रिक थीं. यूरोपीय संघ में स्थिति और भी खराब है. जनवरी में वहां बेची गई कारों में सिर्फ 10.9% ही इलेक्ट्रिक थीं.
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Norway Electric Cars: इलेक्ट्रिक वाहनों की विक्री के मामले में नॉर्वे ने सबको पीछे छोड़ दिया है. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में देश में बिकने वाले 82.4% प्राइवेट व्हीकल इलेक्ट्रिक थे. जनवरी में यह आंकड़ा 92.1% था. अगले साल यह डाटा 100% तक पहुंचने टारगेट तय किया गया है.
नॉर्वे की यह उपल्बधि कितनी बड़ी है इसे कुछ अन्य देशों की हालत से समझा जा सकता है. अगर बात यूके की करें नई पेट्रोल और डीजल कारों पर प्रतिबंध को हाल ही में 2030 की जगह 2035 तक धकेल दिया गया. यहां जनवरी में रजिस्टर्ड नई कारों में से केवल 14.7% इलेक्ट्रिक थीं. यूरोपीय संघ में स्थिति और भी खराब है. जनवरी में वहां बेची गई कारों में सिर्फ 10.9% ही इलेक्ट्रिक थीं.
नॉर्वे में कैसे आई ट्रांसपोर्ट क्रांति?
अपने ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों, लंबी, ठंडी सर्दियों और व्यापक रूप से बिखरी हुई आबादी के साथ, नॉर्वे ट्रांसपोर्ट क्रांति लाने के लिए एक मुश्किल देश है. लेकिन बदलाव लाकर दिखा दिया. 'इसका सीधा कारण है: अच्छी टैक्स नीतियां..' 120,000 से अधिक सदस्यों वाले दुनिया के सबसे बड़े ईवी क्लब नॉर्वेजियन ईवी एसोसिएशन की महासचिव क्रिस्टीना बू ने कहा.
बू ने बताया कि नॉर्वे ने हमेशा नई कारों पर भारी टैक्स लगाया. 90 के दशक में, पर्यावरणविदों के दबाव में, सरकार ने ईवी को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इन टैक्सों को हटाना शुरू कर दिया, भले ही तब इसका कोई नहीं था. फिर, जब इलेक्ट्रिक मॉडल उपलब्ध होने लगे तो लोग उन्हें खरीदने लगे, क्योंकि कारों पर उनके उत्सर्जन के हिसाब से टैक्स लगाया जा रहा था. दुनिया में अन्य जगहों पर, ईवी हाई प्रॉडक्शन कोस्ट के कारण, इलेक्ट्रिक कारें अधिक महंगी थीं - और रहेंगी. हमने अन्य देशों की तरह सीधी सब्सिडी नहीं दी है; हमने टैक्सा लगाया है और हमने टैक्स नहीं लगाया है.'
‘जनसंख्या के असर और राजनीति का असर’
बू कहती हैं, नॉर्वे की ईवी सफलता का उसकी जनसंख्या के आकार और उसकी राजनीति से भई कुछ लेना-देना है. वह बताती हैं, 'हम एक छोटा देश हैं, इसलिए नागरिक समाज और राजनीतिक व्यवस्था के बीच बहुत अधिक सहयोग है. हमारे लिए सांसदों के साथ बैठकें करना मुश्किल नहीं है, इसलिए यह सिर्फ ऊपर से नीचे की स्थिति नहीं थी; यह नीचे से ऊपर भी था. नॉर्वे की आनुपातिक, बहुदलीय प्रणाली अक्सर गठबंधन और अल्पमत सरकारें बनाती है, जिसके कारण उत्सर्जन (emissions) का राजनीतिकरण नहीं हुआ है, जैसा कि अन्य देशों में हुआ है - पूरे स्पेक्ट्रम में ईवी के लिए उत्साह है. 2025 तक सभी नई कारों को जीरो उत्सर्जन बनाने के टारगेट का सभी दलों ने समर्थन किया है.'
बू बताती हैं, 'हमारे पास वास्तव में ब्रिटेन जैसी कार इंडस्ट्री नहीं है. तो कम नौकरियों का एक सवाल हमेशा बना रहा है लेकिन पिछले 10 वर्षों में, हम नॉर्वे में चार्जिंग इंडस्ट्री, बैटरी इंडस्ट्री, सॉफ्टवेयर वगैरह में नौकरियां पैदा कर रहे हैं.'