Hezbollah News: हिजबुल्ला का कम्युनिकेशन नेटवर्क फिलहाल ठप पड़ा है. ऐसे में अगर इज़रायल के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने का फैसला होता है, तो हुक्म की तामील कैसे होगी? जो पेजर अब तक नहीं फटे हैं उन्हें भी शक की निगाह से चलता फिरता 'बम' माना जा रहा है.
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Hezbollah revenge israel weakness analysis: लेबनान की सरकार और हिजबुल्लाह दोनों इजरायल के सरप्राइज अटैक से हैरान हैं. पहले पेजर फिर मोबाइल और फिर घरों के टीवी और छत पर लगे सोलर पैनल में धमाकों से हिजबुल्लाह की जड़ें हिल गई हैं. न्यूज़ एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक बेरूत में पेजर विस्फोट की घटनाओं में मारे गए हिजबुल्ला सदस्यों और बच्चों के अंतिम संस्कार के दौरान भी कई धमाके हुए. बेरूत के कई इलाकों में घरेलू सौर ऊर्जा उपकरणों में हुए धमाकों पर लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, '10 लोगों की मौत और करीब 300 घायल हैं. मरने वालों का आंकड़ा बढ़ सकता है'. अब सवाल ये है कि गुरिल्ला युद्ध का मास्टर और बदले की राजनीति से दुकान चलाने वाला हिजबुल्लाह जिसने कभी इजरायल की नाक में दम कर दिया था, वो इतना बेबस कैसे हो गया? आइए नजर डालते हैं, हिजबुल्लाह की लाचारी पर जिसने कभी इजरायल को 34 दिन तक आमने सामने की जंग में नाको चने चबवा दिए थे. ईरान की आंखों का तारा 'हिजबुल्लाह' कराह रहा है. 'हमास' के हमदर्द बनने का बदला इजरायल, इस तरह लिया जाएगा. ये हिजबुल्लाह ने किसी भी न होगा.
इजरायल की नाक में किया था दम, आज खुद बेदम!
हिजबुल्लाह की पहली बड़ी कामयबी की बात करें तो आज से करीब 24 साल पहले 2000 में मई महीने की तपती दोपहरिया में एक दिन गुरिल्ला युद्ध के माहिर हिजबुल्लाह ने इजरायल को दक्षिणी लेबनान से खदेड़ दिया था. दूसरी बार उसने साल 2006 में 34 दिन तक इजरायल से आमने सामने की भीषण जंग लड़कर उसे नाको चने चबवा दिए थे.
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1999 से लेकर 2024 तक आते आते हिजबुल्लाह ने ईरान के सपोर्ट से मिसाइलों और ड्रोन्स का अपना शस्त्र भंडार तैयार किया. उसने सीरिया में भी ताकत दिखाई. बीते 11 महीनों से शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब हिजबुल्लाह ने इज़रायल पर गोलियां या रॉकेट न दागे हों. हिजबुल्लाह के हमलों की वजह से करीब 62000 इज़रायलियों को घर छोड़ शेल्टर हाउस में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा.
जुलाई 2024 में इजरायल ने गेम पलट दिया
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल अंदर ही अंदर हिजबुल्लाह की काट ढूंढ रहा था. गाजा की कॉलोनियों को बमों से पाटने के बाद नेतन्याहू ने हिजबुल्लाह पर फोकस किया. इजरायली आक्रामकता से हिजबुल्लाह कमजोर पड़ा. 30 जुलाई की शाम इजरायल ने बेरूत के रिहायशी अपार्टमेंट पर गाइडेड मिसाइल और ड्रोन से अटैक किया. उस हमले में हिजबुल्लाह का टॉप कमांडर फुआद शुकर मारा गया.
शुकर की हत्या का बदला लेने के लिए 25 अगस्त को हिजबुल्लाह ने इज़राइल में ठिकानों पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं. तब हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्ला ने दावा किया, 'हमारे हमले में इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के हेडक्वार्टर और स्पेशल यूनिट 8200 और इज़रायली सिग्नल इंटेलिजेंस यूनिट को नुकसान पहुंचाया, हालांकि इजरायल ने उसके दावों का खंडन तो किया लेकिन अपनी बात के समर्थन में उसने कोई सबूत भी नहीं दिया'.
उसके कुछ दिन बाद बेरूत के उन हिलाकों में भरी दोपहर हजारों, पेजर एक साथ फट पड़े, जहां हिजबुल्लाह मजबूत स्थित में था. इस हमले में कई लोग मारे गए और 3,000 से 5,000 घायल हुए.
इसके फौरन बाद हिजबुल्लाह का कम्युनिकेशन नेटवर्क ठप पड़ गया. दरअसल पेजर धमाकों के बाद लेबनान में मोबाइल फोन और वॉकी टॉकी भी फटे, जिनसे हिजबुल्लाब अपना काम चलाता था. ये पेजर और वॉकी-टॉकी उसके लिए मोबाइल फोन जैसे जरूरी आइटम थे. माना जा रहा है हिजबुल्लाह लगभग ऑफ़लाइन हो चुका है. हिजबुल्लाहब के ख़ुफ़िया अधिकारी यह जानने की बेताबी से कोशिश कर रहे होंगे कि यह सब कैसे हुआ.?
इजरायल पर हमले का आदेश की तामील कैसे होगी-हिजबुल्लाह को अब तक कितना नुकसान?
हिजबुल्ला का कम्युनिकेशन नेटवर्क फिलहाल ठप है. कई लड़ाके मारे जा चुके हैं. ऐसे में अगर इज़रायल के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने का निर्णय लिया भी जाता है, तो आका के उस हुक्म की तामील कैसे होगी? क्योंकि पेजर बंद पड़े हैं. दूसरा कोई रास्ता नहीं है, ऐसे संदेश भेजने में सामान्य से ज्यादा वक्त लगता है. जो पेजर अबतक नहीं फटे हैं उन्हें भी शक की निगाह से चलता 'बम' माना जा रहा है.
सीमा संघर्ष की भारी कीमत हिजबुल्लाह चुका रहा है. माना जा रहा है उसकी अकड़ ढीली पड़ चुकी है. हिजबुल्लाह ने हाल ही में ये कबूला था कि उसने पिछले साल अक्टूबर से अब तक 400 से अधिक लड़ाकों को खोया है. जबकि 2006 की उस जंग में जब उसने इज़रायल से 34 दिन तक युद्ध लड़ा था उसमें उसके 250 लोग मारे गए थे.