Emmanuel Macron News: इमैनुएल मैक्रों की गिनती यूरोप के टॉप नेताओं में होती थी, लेकिन अब अपने ही देश में राजनीतिक रूप से फेल साबित हो रहे हैं. अब वह एक कमजोर नेता बनते जा रहे हैं.
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French President Emmanuel Macron: इमैनुएल मैक्रों 2017 में फ्रांस के सबसे नौजवान राष्ट्रपति बने थे. कुछ ही महीनों के भीतर मैक्रों खुद को पूरे यूरोप का नेता समझने लगे थे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैक्रों के कूटनीतिक प्रयासों ने उन्हें प्रो-यूरोपियन नेता के रूप में पहचान दिलाई. वह बात दीगर है कि मैक्रों अपने ही घर में जमीन खोते जा रहे थे. रविवार को संसदीय चुनाव में मैक्रों की राजनीतिक हार लगभग तय है.
विशेषज्ञों ने चेताया है कि मैक्रों की असफलता फ्रांस को पंगु बना सकती है. दुनिया में मैक्रों की साख तो घटेगी ही, उनकी विरासत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे वक्त में हो रही है जब पेरिस दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन - ओलंपिक - को होस्ट करने जा रहा है.
संसद में मैक्रों को बहुमत मिलने के आसार नहीं हैं. ऐसे में उन्हें टकरावों से भरी सरकार चलानी होगी. मैक्रों 2027 में तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे क्योंकि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता.
'मैक्रों को सजा दे रही फ्रांस की जनता'
AP की रिपोर्ट कहती है कि रविवार का नतीजा जो भी हो, मैक्रों के लिए अच्छी खबर नहीं आने वाली. फ्रांसीसी मीडिया कह रहा है कि एलिसी पैलेस (राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास) में माहौल ऐसा है मानो 'शासन का अंत' हो गया हो. तमाम सर्वे अनुमान लगाते हैं कि मैक्रों का गठबंधन पहले दौर में तीसरे स्थान पर आने के बाद रविवार के दूसरे चरण में हार की ओर बढ़ रहा है.
पेरिस में रहने वाले पॉलिटिकल एनालिस्ट, डॉमिनिक मोइसी ने AP से कहा, 'ऐसा लगता है कि फ्रांसीसी पहले बैलट में ही अपने राष्ट्रपति को सजा देना चाहते हैं.'
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विरोधी पार्टी के साथ मिलकर सरकार चलाने से मैक्रों की स्थिति कमजोर होगी. अगर दक्षिणपंथी नेशनल रैली और उसके सहयोगी संसद में बहुमत पा कर लेते हैं, तो मैक्रों को ऐसे प्रधानमंत्री के साथ काम करना होगा जो राष्ट्रवादी है और इमीग्रेशन का विरोधी है. मैक्रों के लिए यह बेहद अजीब स्थिति होगी. नहीं तो, मैक्रों को ढंग की सरकार चलाने के लिए वामपंथियों से सौदेबाजी करनी पड़ सकती है.
नतीजा जो भी हो, मैक्रों अपने तरीके से अपनी योजनाएं लागू नहीं कर पाएंगे. वह फ्रांस की अर्थव्यवस्था को तेजी देने के लिए प्रो-बिजनेस नीतियां लागू करते रहे हैं.
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यूरोप की कमान संभालने को तैयार थे मैक्रों
फ्रांस में गठबंधन सरकारों की परंपरा नहीं रही है. विदेश में, मैक्रों खुद को बड़ा खिलाड़ी साबित करने के लिए कूटनीतिक रूप से बेहद सक्रिय रहे हैं. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों के रुख में मैक्रों की महती भूमिका रही है. मध्य पूर्व एशिया में भी, मैक्रों ने अरब देशों के साथ फ्रांस के रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की. मैक्रों यूरोपीय यूनियन (EU) को सुरक्षा के लिहाज से मजबूत करना चाहते हैं. उनकी योजना EU में आर्थिक सुधार लागू करने की है ताकि चीन और अमेरिका से मुकाबला किया जा सके.
फ्रांस का संविधान राष्ट्रपति को विदेश नीति, यूरोपीय मामलों और रक्षा पर कुछ अधिकार देता है. हालांकि, प्रतिद्वंद्वी पार्टी के प्रधानमंत्री के साथ सत्ता के बंटवारे को लेकर स्थिति साफ नहीं है. सरकार के समर्थन के बिना मैक्रों की भूमिका सीमित हो सकती है.