France New Immigration Bill: फ्रांस के राष्ट्रपति जयपुर में और उधर पेरिस में हो रहा बवाल, माजरा क्या है
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France New Immigration Bill: फ्रांस के राष्ट्रपति जयपुर में और उधर पेरिस में हो रहा बवाल, माजरा क्या है

Emmanuel Macron India Visit: एक तरफ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. दूसरी तरफ, राजधानी पेरिस में नए इमिग्रेशन बिल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

France New Immigration Bill: फ्रांस के राष्ट्रपति जयपुर में और उधर पेरिस में हो रहा बवाल, माजरा क्या है

France Immigration Bill 2024: राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गुरुवार को जयपुर पहुंचे. वह गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं. मैक्रों की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब उनकी सरकार फ्रांस में कड़े विरोध का सामना कर रही है. पेरिस की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने नए इमिग्रेशन बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया. गुरुवार को यह बिल फ्रांस की संवैधानिक काउंसिल के सामने पेश होगा. नेशनल असेंबली नए इमीग्रेशन बिल को पिछले महीने पारित कर चुकी है. बिल के समर्थन में 349 वोट पड़े और विरोध में 186 ने वोट डाला. बिल की खिलाफत करने वालों का कहना है‍ कि यह चरमपंथी है. सत्ताधारी गठबंधन के 27 सदस्यों ने बिल के खिलाफ वोट किया जबकि 32 ने वोटिंग से दूरी बना ली. फ्रांस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ऑरेलियन रूसो तक विरोध में इस्तीफा दे चुके हैं. प्रस्तावित कानून के जरिए मैक्रों सरकार इमीग्रेशन पर सख्त रवैया अख्तियार करना चाहती है.

फ्रांस के नए इमीग्रेशन बिल पर बवाल क्‍यों?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए बिल के जरिए फ्रांस में रिहाइश और नागरिकता के नियम बदले जाने हैं. यह बिल अनचाहे विदेशियों को डिपोर्ट करने की फ्रांस सरकार की ताकत में इजाफा करेगा. अगर यह कानून बना तो फ्रांस के लोगों के लिए परिवार के सदस्यों को लाना मुश्किल हो जाएगा. उनको वेलफेयर स्‍कीमों का फायदा मिलने में भी कठिनाई पेश आएगी.

अभी फ्रांस की जमीन पर जन्म लेने वाला हर बच्चा अपने आप फ्रांसीसी नागरिक बन जाता है. नए बिल के अनुसार, विदेशी माता-पिता से फ्रांस में जन्‍मे बच्‍चे को यह अधिकार नहीं मिलेगी. उसे 16 से 18 साल की उम्र के बीच नागरिकता के लिए अप्‍लाई करना होगा. बिल का फ्रांस में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. रविवार को करीब 75,000 लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए. प्रदर्शनकारी राष्‍ट्रपति मैक्रों से बिल पर हस्ताक्षर न करने की अपील कर रहे हैं.

गेंद अब संवैधानिक काउंसिल के पाले में

संवैधानिक काउंसिल फ्रांस की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है. नौ सदस्यों वाली यह काउंसिल हर नए कानून की समीक्षा करती है कि वे फ्रांसीसी संविधान के सिद्धांतों पर खरे उतरते हैं या नहीं. पिछले साल मैक्रों के रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 साल करने के फैसले को काउंसिल ने मंजूरी दी थी. इसके बावजूद उस बिल के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला नहीं रुका था. संवैधानिक काउंसिल से मंजूरी के बाद बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही वह कानून बन जाता है.

अगर संवैधानिक काउंसिल बिल के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक करार देती है तो मैक्रों सरकार के सामने दो विकल्प होंगे. या तो काउंसिल के फैसले को मानते हुए कानून को जस का तस लागू कर दिया जाए या फिर बिल को संसद के पास वापस भेजकर उन प्रावधानों में बदलाव किया जाए जिन्‍हें काउंसिल सही नहीं मानती. मैक्रों ने दिसंबर में इस बिल के भीतर कुछ खामियां होने की बात मानी थीं.

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