Budget 2023: मोदी सरकार ने खत्‍म कर दिए गुलामी के ये रिवाज, आप भी जानें कितनी परंपराएं टूटीं?
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Budget 2023: मोदी सरकार ने खत्‍म कर दिए गुलामी के ये रिवाज, आप भी जानें कितनी परंपराएं टूटीं?

Nirmala Sitharaman: देश आजादी का अमृत महोत्‍सव मना रहा है. ऐसे में आपको भी जानना चाहिए कि मोदी सरकार ने गुलामी के समय से चली आ रही कितनी परंपराओं को खत्‍म कर दिया या उसे अपने देश के अनुरूप ला दिया. इसके साथ ही सरकार ने कुछ नई परंपरा की भी शुरुआत की. आइए जानते हैं इनके बारे में. 

फाइल फोटो

Latest update budget: नरेंद्र मोदी ने जब से प्रधान मंत्री की कुर्सी संभाली है, तब से ही मोदी सरकार ने कई पुरानी परंपराओं को खत्‍म किया है. उसी तरह बजट में भी कई बदलाव देखने को मिले हैं. आर्थिक विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि इनमें से कई फैसलों से फायदा भी हुआ है. पहले आम बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन यानी 28 या 29 फरवरी को पेश होता था, लेकिन सरकार ने 2017 से इसे 1 फरवरी को पेश करना शुरू कर दिया. इस पर कई लोगों ने आरोप भी लगाया कि यूपी समेत कई राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के चलते ये फैसला लिया गया है, लेकिन इसके पीछे वजह यह थी कि जल्‍द बजट पेश कर उसे सरकार, संसद से पास कराए और नए वित्‍त वर्ष में किसी भी मंत्रालय को पैसों की कमी न हो क्‍योंकि 1 अप्रैल से नया वित्‍त वर्ष शुरू होता है. ऐसे में मंत्रालय के पास अप्रैल माह में पर्याप्‍त धन नहीं होता था. आइए जानते हैं और कौन-कौन सी परंपराओं को मोदी सरकार में खत्‍म किया गया.   

चमड़ा छोड़ अपनाई भारतीय परंपरा 

आपने देखा ही होगा दिवाली पूजन में जब नए बहीखातों की शुरुआत होती है, तो उसमें लाल रंग का ही इस्‍तेमाल होता है. इसी तरह साल 2019 में सरकार ने चमड़े के ब्रीफकेस में बजट लागे की परंपरा को छोड़ दिया और इसकी जगह वे लाल कपड़ें में बही-खाता रूपी बजट लेकर संसद पहुंचीं. आपको बता दें कि लाल कपड़े में बजट पेश करने वाली, वे पहली वित्त मंत्री बन गईंं हैं. लाल रंग को शुभ के साथ इच्छाशक्ति, साहस और अंदरूनी हिम्मत का प्रतीक माना गया है. 

बजट पेश करने की तारीख

अंग्रेजों के जमाने से बजट 28 फरवरी को पेश होता था, लेकिन इस परंपरा को साल 2017 में तोड़ दिया. उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने 1 फरवरी को बजट पेश किया. इसके चलते मंत्रालयों को समय पर बजट आवंटन हो पाता है. जिससे अप्रैल माह से ही सभी मंत्रालय अपनी योजनाओं को आसानी से लागू कर पाते हैं. 

रेल बजट का हुआ विलय

अंग्रजों के जमाने से ही परंपरा चली आ रही थी, जिसके तहत रेल बजट (Rail budget) और आम बजट अलग-अलग पेश होता था, लेकिन 1924 से चली आ रही इस परंपरा को साल 2017 में मोदी सरकार ने तोड़ दिया और 2017-18 से रेल बजट को आम बजट में ही शामिल कर दिया.
  
फिर लेकर आए डिजिटल बजट 

नरेंद्र मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया मिशन पर जोर दिया और साल 2021 और 2022 डिजिटल बजट पेश किया गया. इससे पहले हर साल बजट की छपाई की जाती थी. अब यूनियन बजट मोबाइल एप पर आने लगा है. सांसदों को भी बजट की डिजिटल कॉपियां दी जाने लगी. 

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