हाईट से बड़ा भाला और साथ में 'LOSER' टैग, 7 साल में कैसे 'जीरो से हीरो' बना ये चैंपियन, बताई पूरी कहानी
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हाईट से बड़ा भाला और साथ में 'LOSER' टैग, 7 साल में कैसे 'जीरो से हीरो' बना ये चैंपियन, बताई पूरी कहानी

Zee Real Heroes Awards: जब भी भाला फेंक की बात होती तो पहला नाम नीरज चोपड़ा का आता था. लेकिन पिछले 6 महीने में 'गोल्डन बॉय' के बाद पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सैनी की भी बात होती है. देश का नाम रोशन करने वाले नवदीप का यह सफर कैसा रहा, उन्होंने जी न्यूज को विस्तार से बताया है. 

 

Navdeep Singh

Zee Real Heroes Awards: जब भी भाला फेंक की बात होती तो पहला नाम नीरज चोपड़ा का आता था. लेकिन पिछले 6 महीने में 'गोल्डन बॉय' के बाद पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप सैनी की भी बात होती है. देश का नाम रोशन करने वाले नवदीप का यह सफर कैसा रहा, उन्होंने जी न्यूज के 'रियल हीरोज अवॉर्ड्स' आयोजन में विस्तार से बताया है. पहलवानी में स्टेट लेवल के चैंपियन रहे नवदीप ने भाला फेंक में सफर का आगाज कैसे किया आईए जानते हैं. 

पहलवानी से किया आगाज

नवदीप सैनी ने पहलवानी से शुरुआत की थी और स्टेट लेवल के चैंपियन भी रहे. उन्होंने इस बारे में बताया, 'मैं शुरुआत में पहलवान था, लेकिन बैक इंजरी के चलते मुझे छोड़ना पड़ा. फिर मैं यूट्यूब देख रहा था तो वहां पर मैंने एक आर्टिकल देखा "पानीपत के लड़के ने किया कमाल, तोड़ा विश्व रिकॉर्ड." वो नीरज चोपड़ा भाई साहब का वीडियो था. उन्होंने जूनियर का रिकॉर्ड किया था 2016 में. फिर मैंने सोचा कि पानीपत में भी भाला फेंककर कोई वर्ल्ड रिकॉर्ड कर रहा है तो मैं भी शुरू करता हूं. फिर मैंने पैरा में 2017 में जेवलिन में हिस्सा लिया. उन्हें देखने के बाद मेरी भी मेहनत रंग लाई.'

'LOSER' का लगा था टैग

गुस्से वाले सवाल पर नवदीप ने कहा, 'मैं दो-तीन बार पैरा एशियन गेम्स, टोक्यो पैरालंपिक्स और पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैंने चौथे स्थान पर फिनिश किया था. तो मुझे एक लूजर वाला टैग फेंक दिया था और आप तीन बार चौथे नंबर पर आए हो, आपके पास क्षमता नहीं है. आप गेम चेंज कर सकते हो. लेकिन मुझे पता था कि कमी मेरे अंदर है और सुधार मुझे करना है. बाद में सभी तालियां बजाएंगे. मैंने थोड़ा सब्र रखा जब टारगेट सेट किया. इस तरह से मैंने वो लूजर वाला टैग हटाया.'

हाईट से बड़ा था भाला

भाले की लंबाई पर नवदीप ने कहा, 'सर आप सोच रहे हो कि बॉडी का भार लगता है, लेकिन मुझे दिक्कत होती थी कि मैं छोटा था और वह जमीन में टच हो जाता था. वो हकीकत में ज्यादा बड़ा था मुझसे, फिर मैंने टेक्निक चेंज किया देखा और कोच ने डांटा. फिर मेहनत की और सुधार किया. बार बार ट्रेनिंग करने के बाद रिजल्ट ये आया कि जेवलिन पीछे नहीं आगे टच होता है.'

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