सिर्फ 13 सेकंड में एक चक्कर! सिकुड़ रहा है ब्रह्मांड में सबसे तेजी से घूमने वाला 'वैम्पायर स्टार', अब फट जाएगा
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सिर्फ 13 सेकंड में एक चक्कर! सिकुड़ रहा है ब्रह्मांड में सबसे तेजी से घूमने वाला 'वैम्पायर स्टार', अब फट जाएगा

Fastest Spinning Star In The Universe: ब्रह्मांड में सबसे तेजी से घूमने वाला सफेद बौना तारा सिर्फ 13 सेकंड में एक चक्कर लगा लेता है. 'वैम्‍पायर स्टार' या 'पिशाच तारे' के नाम से जाना जाने वाला यह तारा तेजी से सिकुड़ रहा है और जल्द फट जाएगा.

सिर्फ 13 सेकंड में एक चक्कर! सिकुड़ रहा है ब्रह्मांड में सबसे तेजी से घूमने वाला 'वैम्पायर स्टार', अब फट जाएगा

Science News in Hindi: इस ब्रह्मांड में एक तारा ऐसा भी है जो लगातार भारी होता जा रहा है. यह अपनी साथी तारे से सामग्री चुराते हुए सिकुड़ता और तेजी से घूमता जा रहा है. यह तारा एक 'सफेद बौना' है जिसका नाम RX J0648.0–4418  रखा गया है. वैज्ञानिक इसे 'कॉस्मिक वैम्पायर' यह व्हाइट ड्वार्फ अपने साथी तारे से सामग्री चुराते हुए एक दिन सुपरनोवा में बदलने के लिए तैयार हो रहा है. एक नई स्टडी के अनुसार, यह बड़ी तेजी से सिकुड़ रहा है और जल्द ही फट जाएगा.

RX J0648.0–4418, पृथ्वी से 1,700 प्रकाश वर्ष दूर, HD 49798 नामक तारे का साथी है. इसकी द्रव्यमान (mass) हमारे सूरज के द्रव्यमान का लगभग 1.2 गुना है, और यह सिर्फ 13 सेकंड में एक बार घूमता है. यह अब तक देखा गया सबसे तेज घूमने वाला व्हाइट ड्वार्फ है. इसकी तुलना में दूसरा सबसे तेज व्हाइट ड्वार्फ, LAMOST J0240+1952, हर 25 सेकंड में घूमता है.

इतनी तेजी से क्यों घूमता है यह 'पिशाच तारा'?

RX J0648.0–4418 की इतनी तेज स्पिन को केवल उसके साथी तारे से चुराई गई सामग्री से नहीं समझाया जा सकता. एक नई स्टडी में पाया गया कि इसका कारण इसका धीरे-धीरे सिकुड़ना हो सकता है. यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही है जैसे कोई आइस स्केटर अपने हाथ अंदर करके तेजी से घूमने लगता है.

इस रिसर्च को लीड करने वाले वैज्ञानिक, सैंड्रो मेरिगेट्टी ने कहा, 'व्हाइट ड्वार्फ धीरे-धीरे अपने जीवन के शुरुआती कुछ लाख वर्षों में सिकुड़ता है, जिससे उसके घुमाव की गति बढ़ती है.' RX J0648.0–4418 की युवा उम्र (मात्र कुछ मिलियन वर्ष) इसे अन्य व्हाइट ड्वार्फ सिस्टम्स से अलग बनाती है, जो आमतौर पर अरबों साल पुराने होते हैं. उनकी रिसर्च arXiv पर छपी है.

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यह व्हाइट ड्वार्फ X-रे प्रकाश उत्सर्जित करता है और अपने साथी तारे, जो एक गर्म हेलियम-जलता हुआ सबड्वार्फ है, से सामग्री खींच रहा है. ऐसा बाइनरी सिस्टम अपनी तरह का अकेला ज्ञात उदाहरण है.

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सुपरनोवा की ओर अग्रसर

RX J0648.0–4418 का द्रव्यमान 'चंद्रशेखर लिमिट' (1.4 सौर द्रव्यमान) के करीब है. यह वह सीमा है जिसके बाद व्हाइट ड्वार्फ सुपरनोवा में बदल जाता है. फिलहाल, यह तारा अपने साथी से सामग्री खींच रहा है, और जैसे-जैसे इसका साथी तारा विकसित होगा, यह प्रक्रिया और तेज हो जाएगी. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह व्हाइट ड्वार्फ अगले 100,000 सालों के भीतर सुपरनोवा में बदल जाएगा.

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