Kinner Death Rituals: अक्सर ऐसा सुनने को मिलता है कि किन्नरों की मौत के बाद उनके शव को जूते और चप्पलों से पीटा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर किन्नर समाज में ऐसी विचित्र परंपरा क्यों है. चलिए, आज हम आपको किन्नरों की मौत से जुड़ी कुछ हैरान कर देने वाली परंपराओं के बारे में बताते हैं.
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Kinner After Death: सनातन धर्म में किन्नरों की दुआओं और आशीर्वाद को बहुत शक्तिशाली माना गया है. कोई भी शुभ कार्य होने पर किन्नरों को बुलाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है. जब किसी घर में बच्चे का जन्म होता है, तो किन्नर वहां जाकर बधाइयां देते हैं ताकि नवजात की उम्र लंबी हो. लेकिन जब किन्नर समाज के किसी सदस्य की मृत्यु होती है, तो उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपराएं बाकी समाज से काफी अलग होती हैं. किन्नरों के अंतिम संस्कार से जड़ी परंपराएं कई सवाल खड़े करती हैं, मसलन किन्नरों का अंतिम संस्कार अक्सर रात में ही क्यों किया जाता है? मृत्यु के बाद वे जश्न क्यों मनाते हैं और मृत शरीर को जूते-चप्पलों से क्यों पीटते हैं? आइए इन सवालों के जवाब विस्तार से बताते हैं.
आधी रात में क्यों होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार
किन्नरों का मानना है कि उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता है. जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनकी मृत्यु नजदीक है, तो वे खाना-पीना बंद कर देते हैं और एकांत में ईश्वर की उपासना में लीन हो जाते हैं. इस दौरान वे प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में उन्हें किन्नर न बनाया जाए.
किन्नर समाज में मृत शरीर को जलाने के बजाय दफनाने की परंपरा है. इस प्रक्रिया के तहत शव को कफन में लपेटा जाता है, लेकिन उसे किसी भी चीज से बांधा नहीं जाता. किन्नर ऐसा मानते हैं कि आत्मा को बंधन मुक्त रखना चाहिए ताकि वह स्वतंत्रता से ईश्वर की ओर प्रस्थान कर सके.
किन्नरों का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया जाता है ताकि कोई बाहरी व्यक्ति शव को देख न सके. किन्नरों की यह मान्यता है कि यदि किसी इंसान ने किन्नर के शव को देख लिया, तो वह अगले जन्म में किन्नर के रूप में जन्म ले सकता है. इस डर से उनका अंतिम संस्कार बेहद गोपनीय तरीके से और रात के समय किया जाता है.
किन्नरों के शव को चप्पल-जूतों से क्यों पीटते हैं?
मृत्यु के बाद किन्नरों द्वारा शव को जूते-चप्पलों से पीटने की परंपरा भी है. हालांकि, इसके पीछे उनकी यह धारणा है कि ऐसा करने से मृत आत्मा को अगले जन्म में किन्नर योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता. कहा जाता है कि मृत्यु के बाद किन्नर के शव को इसलिए भी पीटा जाता है क्योंकि यह प्रक्रिया उनके समाज की पुरानी मान्यताओं और प्रार्थनाओं का हिस्सा है.
मृत्यु के बाद क्यों जश्न मनाते हैं किन्नर
किन्नर समाज में मृत्यु के बाद जश्न मनाने की भी परंपरा है. इसका उद्देश्य आत्मा की मुक्ति और ईश्वर से यह प्रार्थना करना है कि उसे अगले जन्म में बेहतर जीवन प्राप्त हो. इस दौरान किन्नर दान-पुण्य करते हैं और ईश्वर से अपने समुदाय के लिए दया की प्रार्थना करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)