Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन संध्या काल में करें ये जादुई उपाय, बड़ी से बड़ी समस्या हो जाएगी छूमंतर
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन संध्या काल में करें ये जादुई उपाय, बड़ी से बड़ी समस्या हो जाएगी छूमंतर

Pradosh vrat Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और गरीबों को दान देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

 

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Pradosh Vrat Remedies: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शास्त्रों में हर तिथि का अपना अलग महत्व बताया गया है. हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदेोष व्रत रखा जाए. बता दें कि इस बार 7 फरवरी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाए. मान्यता है कि इस दिन संध्याकाल में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाए, तो साधक को सुखी जीवन की प्राप्ति होती है और परिवार में शांति बनी रहती है. इतना ही नहीं, प्रदोष व्रत के दिन रुद्राष्टकम स्त्रोत का पाठ करना विशेष लाभदायी रहता है. इस दिन इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के सभी रुके हुए कार्य पूरे होते हैं.  और सभी प्रकार की दिक्कतों से छुटकारा मिलता है. 

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

दाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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