Papmochani Ekadashi: चैत्र माह के एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल यह एकदाशी 18 मार्च 2023 शनिवार के दिन है. ऐसी मानयता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि- विधान से पूजा करने से जानें- अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है.
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Papmochani Ekadashi 2023 Vrat: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन पापमोचनी एकादशी का व्रत होता है. इस दिन व्रत करने वालों को जीवन में जाने-अनजाने होने वाले पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस बार यह व्रत 18 मार्च दिन शनिवार को है. इस व्रत को करने के लिए दशमी की रात में ही व्रत का स्मरण करना चाहिए. एकादशी के दिन प्रातः स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद श्रद्धा भक्ति के साथ विधि पूर्वक श्री भगवान का पूजन करना चाहिए.
गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्य आदि अर्पण करने के बाद जप, स्तोत्र पाठ, हवन, भजन कीर्तन आदि करें, फिर द्वादशी को पुनः पूजन करना चाहिए. इस व्रत को एक बार शुरू करने के बाद लगातार करना चाहिए, किंतु यदि शारीरिक रूप से ऐसा करने में असमर्थ हैं तो उद्यापन कर देना चाहिए.
व्रत कथा
प्राचीन काल में चित्ररथ वन में देवराज इंद्र गंधर्वों और अप्सराओं के साथ घूम रहे थे. वहीं पर च्यवन ऋषि के मेधावी पुत्र भी तपस्या कर रहे थे. उन मेधावी युवा ऋषि को देख कर मंजुघोषा नाम की अप्सरा आसक्त हो गई और अपने हाव भाव से उन्हें मोहित कर लिया और कई साल उनके साथ गुजारे. एक दिन जब अप्सरा वहां से जाने लगी तो ऋषि को तपस्या भंग होने का आभास हुआ. उन्होंने क्रोधित होकर अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया.
बहुत अनुनय विनय करने पर युवा ऋषि पसीजे और उन्होंने अप्सरा मंजुघोषा को चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन विधि पूर्वक व्रत करने को कहा. उन्होंने बताया कि इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पाप और श्राप दोनों ही समाप्त हो जाएंगे और वह पुनः अपना पुराना रूप और सुंदरता प्राप्त कर सकेगी. इसके बाद वह अपने पिता ऋषि च्यवन के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई तो ऋषि बोले, बेटा यह तुमने अच्छा नहीं किया है, श्राप देकर तुमने भी पाप किया है और अब तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत विधि-विधान से करो तो तुम्हें पाप से मुक्ति मिलेगी.