Mahashivratri 2025: 149 साल बाद महाशिवरात्रि पर सूर्य-शनि-बुध का ‘त्रिग्रही महायोग’, 3 ग्रहों की दुर्लभ युति करेगी सभी मनोकामनाएं पूरी!
Advertisement
trendingNow12653146

Mahashivratri 2025: 149 साल बाद महाशिवरात्रि पर सूर्य-शनि-बुध का ‘त्रिग्रही महायोग’, 3 ग्रहों की दुर्लभ युति करेगी सभी मनोकामनाएं पूरी!

Mahashivratri 2025 Special Yog: देवों के देव महादेव की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि पर्व आने में अब बस कुछ ही दिन बाकी बचे हैं. इस बार महाशिवरात्रि पर 149 साल बाद ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है, जो लोगों का भाग्य पलटकर रख देगा. 

 

Mahashivratri 2025: 149 साल बाद महाशिवरात्रि पर सूर्य-शनि-बुध का ‘त्रिग्रही महायोग’, 3 ग्रहों की दुर्लभ युति करेगी सभी मनोकामनाएं पूरी!

What to do on Mahashivratri 2025: हमारी सनातन परंपरा में महाशिवरात्रि बेहद खास मानी जाती है. लेकिन इस साल की महाशिवरात्रि को और भी खास बना रहा है एक ऐसा दिव्ययोग, जिसे ज्योतिष के जानकार बेहद हितकारी बता रहे हैं. आज की स्पेशल रिपोर्ट में समझिए, महाशिवरात्रि पर बनने वाला ग्रहों नक्षत्रों का ये दुर्लभ योग. इस योग की खास बात ये भी है, कि ये 149 साल बाद बन रहा है, जिसे ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं सर्वार्थ सिद्धियोग. 

कब मनाई जाती है महाशिवरात्रि?

वैसे तो हर चंद्रमास की चौदहवी तिथि को भगवान शिव की रात्रि कहा जाता है, मगर फागुन महीने की चौदहवीं तिथि, यानी अमवास से एक दिन पहले की रात मानी जाती है महाशिवरात्रि. वैदिक गणना के मुताबिक महाशिवरात्रि को पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सौरमंडल के प्रभावी ग्रहों के साथ कुछ ऐसी सीध में आता है, कि मनुष्य के भीतर उर्जा का संचार उर्ध्वमुखी यानी नीचे से ऊपर की तरफ होता है.

भगवान शिव सृष्टि और मानव शरीर में इसी उर्जाचक्र के देवता माने जाते हैं. भगवान शिव के इसी देव तत्व का उत्सव है महाशिवरात्रि. इस बार भगवान शिव का ये महाउत्सव 26 फरवरी को है, जिसे खास बना रहे हैं सूर्य, बुध, शुक्र और शनि जैसे ग्रहों का महायोग. 

1874 के बाद महाशिवरात्रि पर सूर्य-शनि-बुध का ‘त्रिग्रही’ योग!

जिस महायोग और 4 प्रहर की पूजा का जिक्र ज्योतिषाचार्य कर रहे हैं, उसे आप बेहद आसान तरीके से कुछ ऐसे समझ सकते हैं. शिव और सौरमंडल के ग्रहों और राशियों की स्थिति का असर धरती के जीवजगत पर कैसे पड़ता है, इसका जिक्र हम अपनी कई स्पेशल रिपोर्ट में कर चुके हैं. ग्रहों के उसी योग को अब महाशिवरात्रि के संदर्भ में समझिए.

सबसे पहले सूर्य, जो कुंभ राशि में विराजमान है. इसी कुंभ राशि में बुध भी हैं और शनि ग्रह भी हैं. बुध, सूर्य और शनि कुंभ राशि में त्रिग्रही योग बना रहे हैं
सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग बन रहा है. जबकि शनि और सूर्य की युति से राजयोग का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा एक योग धन और ऐश्वर्य के ग्रह शुक्र भी बना रहे हैं. शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में है, जिसकी वजह से मालव्य योग बन रहा है. ये महायोग 1873 के बाद पहली बार बन रहा है. 

149 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक महाशिवरात्रि पर ये महायोग 149 साल बाद बन रहा है, ये इतना शुभ योग है, कि इसमें शिव की 4 प्रहर की पूजा बेहद फलदायी होने वाली है. आप वो प्रहर नोट कर सकते हैं. वैसे तो पूरी महाशिवरात्रि ही शिव अराधना के लिहाज से दिव्य मानी जाती है. इस दिन गृहस्थ से लेकर साधु संन्यासी धार्मिक के साथ आध्यात्मिक योग की क्रियाएं साधते हैं. इसी अहमियत की वजह से शिव को आदियोगी कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य ने जो शिव पूजन के 4 प्रहर बताए, इस अवधि में पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. खासतौर पर निशिथ काल, जिसमें देव तत्वों आकर्षित किया जाता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस महाशिवरात्रि को महाकुंभ का ग्रहयोग भी खास बना रहा है. महाकुंभ में महाशिवरात्रि का आखिरी अमृतस्नान होता है. इसी के साथ महाकुंभ का समापन भी होता है. इसलिए इस साल ये और भी खास है. 

नवविवाहितों के लिए भी बन रहा योग

अपने महायोग के साथ इस महाशिवरात्रि को एक खास योग नवविवाहितों के लिए भी बन रहा है. जैसा कि  ज्योतिषाचार्य विनोद शास्त्री ने बताया. महाशिवरात्रि के दिन पूरे देश भर के शिवालयों और 12 ज्योतिर्लिंगों में शिवलिंग पर जल, पुष्प, दुग्ध, शहद और घी अर्पित किए जाते हैं. सवाल है, कि आखिर भगवान शिव, इस धरती पर शिवलिंग रूप में ही सबसे ज्यादा क्यों पूजे जाते हैं, इस सवाल का जवाब अगर आपके जेहन में साफ है, तो शिव आराधना का महत्व और बढ़ जाता है.

संस्कृत में लिंग का अर्थ होता है- चिन्ह, प्रतीक. इस तरह शिवलिंग धरती पर भगवान शिव की पराशक्ति का प्रतीक माना गया है. पराशक्ति यानी यानी पूरे ब्रह्मांड के पदार्थ और उर्जा का प्रतीक. आध्यात्मिक तौर पर ये ध्यान की आखिरी अवस्था का प्रतीक है. ये वो अवस्था है, जिसमें भगवान शिव अपने आदियोगी रूप में रहते हैं. महाशिवरात्रि से पहले आइए जानते हैं, शिवलिंग की उत्पति से जुड़ी पौराणिक गाथाएं क्या कहती हैं.  

5 हजार साल पुराना है इतिहास

पौराणिक मान्यताओं में शिवलिंग एक प्रतीक है. एक साक्षात संकेत शक्ति और प्रकृति के मेल का. भगवान शिव का यही रूप आज भी धरती पर सबसे ज्यादा पूजा जाता है. कैलाश से लेकर केदारनाथ और अमरनाथ तक, शिवलिंग अपने आप में एक अद्भुत आकार है. कैलाश एक पर्वत के रूप, तो अमरनाथ में बर्फ से बने आकार में, शिवलिंग का आकार प्रकृति से सीधा जुड़ा है. 

लिखित इतिहास में शिवलिंग की पूजा की परंपरा के संकेत ईसा पूर्व 3500 से 2300, यानी आज से करीब 5500 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में मिलते हैं.
इस दौर की हड़प्पा और कालीबंगा की खुदाई में कई शिवलिंगों का मिलना, इसी शिवभक्ति की तरफ इशारा करता है. इतिहास से पहले शिव की उत्पति की पौराणिक गाथाएं भी दिलचस्प है. एक कथा शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के छठे अध्याय में मिलती है.

इसकी कथा के मुताबिक सृष्टि की रचना के बाद भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच श्रेष्ठता को लेकर बढ़ा विवाद युद्ध तक पहुंच गया. इसी दौरान अंतरिक्ष में एक चमकीला पत्थर दिखा. भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच गहराता युद्ध देख, दोनों के सामने ये शर्त रखी गई, कि जो भी इस चमकीले पत्थर का अंत देख लेगा, वो श्रेष्ठ माना जाएगा. लेकिन उस चमकीले पत्थर का अंत कोई नहीं ढूंढ पाया. तब युद्धरत दोनों देवों, ब्रह्मा और विष्णु ने उस पत्थर की पूजा करते हुए परब्रह्म के रूप में स्वीकार किया. उसी पत्थर का जिक्र पुराणों में मिलती है.
 
निराकार ब्रह्म का वाहक है शिवलिंग

अथर्ववेद के एक स्त्रोत में एक स्तंभ को अनंत कहा गया है. उस स्तंभ का जिक्र अथर्ववेद में अनादि, अनंत के रूप में किया गया है. शिव पुराण में एक अग्निस्तंभ को ब्रह्मांडीय स्तंभ कहा गया है. लिंग पुराण के मुताबिक शिवलिंग निराकार ब्रह्म का वाहक है. माना जाता है धरती पर शिवलिंग की स्थापना और पूजा इन्हीं पौराणिक वर्णनों की वजह से शुरु हुई. आज पूरी धरती पर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो शिव के ब्रह्मांडीय शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं. महाशिवरात्रि शिव के इन्हीं प्रतीकों का पूजन उत्सव है. इस बार इसलिए खास, क्योंकि ग्रहों की चाल के साथ सारे शिव तत्व एक खास योग में एक्टिव हैं...

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news