Maha Shivratri Puja: महाशिवरात्रि पर अगर कुछ विशेष सामग्री अर्पित करें तो जीवन में तरक्की पा सकेंगे क्योंकि भगवान कृपा कर तरक्की और समृद्धि का आशीर्वाद देंगे. आइए इस बारे में विस्तार से जानें.
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Mahashivratri 2025 Puja Niyam: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. इस पर्व पर शिव भक्त शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं. भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी की विधि विधान से पूजा की जाती हैं. पंचांग पर ध्यान दें तो फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर 26 फरवरी को शिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा. सुबह 11 बजकर 8 मिनट से तिथि की शुरुआत हो रही है और 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर तिथि समाप्त हो रही है. इस तरह महाशिवरात्रि की पूजा 26 फरवरी को रात्रि प्रहर में की जाएगी.
शुभफल के लिए विशेष सामग्री अर्पित करें
भगवान शिव भोले हैं वो जल्दी ही अपने भक्त से प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और भगवान मनचाहा आशिर्वाद देते हैं. यहां तक कि जलाभिषेक करते भी भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह के 6 बजकर 47 मिनट से शुरू हो रहा है और 9 बजकर 42 तक यह मुहूर्त रहने वाला है. वहीं एक मुहूर्त 11 बजकर 6 मिनट से शुरू हो रहा है और 12 बजकर 35 मिनट तक चलने वाला है. शाम के समय 3 बजकर 25 मिनट से मुहूर्त शुरू हो रहा है और 6 बजकर 8 मिनट तक चलने वाला है, रात्रि जलाभिषेक का मुहूर्त रात के 8 बजकर 54 मिनट से शुरू हो रहा है और 12 बजकर 1 मिनट तक चलने वाला है. आइए जानें कि भोले भंडारी को पूजा के समय क्या विशेष सामग्री अर्पित करें ताकि शुभफल की प्राप्ति हो सके.
रुद्राक्ष
महादेव का मनका रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना जाता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर मान्यता है कि यह भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. रुद्राक्ष को अगर महाशिवरात्रि की पूजा में शिव जी पर चढ़ाएं और फिर उसे महाप्रसाद के रूप में धारण करें तो सभी सुख की प्राप्ति हो सकती है. रुद्राक्ष का संबंध नवग्रहों से भी है. हालांकि, रुद्राक्ष धारण करने के नियमों का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है.
बिल्व पत्र या बेल पत्र
शिव भगवान को बेल पत्र अति प्रिय है. इसे जब भगवान को अर्पित किया जाता है तो भक्त की इच्छाएं भी भगवान शीघ्र पूरी करते हैं. सनातन परंपरा में बेलपत्र का बहुत महत्व बताया गया है. इसकी तीन पत्तियों में से एक रज, दूसरे को सत्व और तीसरे को तमोगुण माना गया है. शिव पूजा की पूजा में जब बेलपत्र अर्पित किया जाता है तब उनकी डंठल को तोड़ दिया जाता है और शिवलिंग पर उलटा चढ़ाया जाता है.
भस्म
भगवान शंकर की पूजा में भस्म एक अनिवार्य सामग्री है. भस्म का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है जिसे शिव जी के वस्त्र की मान्यता मिली हुई है. भगवान भस्म को पूरे शरीर पर लपेटते हैं. माना जाता है कि सृष्टि का जब अंत होता है तो उसी भस्म के रूप में यह सृष्टि परिवर्तित हो जाती है. इसका अर्थ ये है कि जब सृष्टी समाप्त होती है तो पूरी भस्म के रूप में भगवान शिव में ही विलीन हो जाती है. महाशिवरात्रि के महापर्व पर अगर भगवान शिव को भस्म अर्पित करें तो व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं.
दूध और दही
महाशिवरात्र के महापर्व पर अगर भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा आराधना की जाए और शवलिंग पर दूध से अभिषेक करें तो व्यक्ति को आरोग्य जीवन की प्राप्ति का वरदान मिलता है. शिव जी प्रसन्न होकर भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि भर देते हैं.
इसे चढ़ाने से मिलेगा हर सुख
शिव पूजा में रुद्राक्ष, भस्म जैसी शिव जी की प्रिय सामग्री को पूजा के समय शिव जी पर अर्पित करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है. उसी तरह शवलिंग पर शहद अर्पित करने से वाणी की मधुरता और मुख की सौंदर्यता बनी रहती है. घी से तेज, शक्कर से सुख-समृद्धि मिलती है. चंदन से यश बढ़ता है और आंवला अर्पित करने से साधक की आयु लंबी होती है. गन्ने के रस से धन वृद्धि तो वहीं गेहूं से योग्य संतान की प्राप्ति होती है. अक्षत अर्पित करने से सुख-संपत्ति का आशीर्वाद भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को देते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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