Garud Puran: श्मशान घाट में पीछे मुड़कर कतई न देखना, ऐसा क्यों कहते हैं, गरुड़ पुराण में छुपा है गहरा रहस्य
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Garud Puran: श्मशान घाट में पीछे मुड़कर कतई न देखना, ऐसा क्यों कहते हैं, गरुड़ पुराण में छुपा है गहरा रहस्य

Antim Sanskar Niyam In Garud Puran In Hindi: हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों के बारे में बताया जाता है. जिनमें से एक है 16वां संस्कार अंतिम संस्कार जिसे लेकर कई तरह के विधान है, नियम हैं. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़ी कई मान्यताएं भी बहुत प्रचलित हैं. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

Garud Puran

Garud Puran shamshan ghats ke Niyam In Hindi: पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर एक जीव का अंत निश्चित है. प्राणी का जन्म और मृत्यु पृथ्वी का अटल सत्य है. व्यक्ति की मृत्यु से लेकर अंतिम संस्कार, आत्मा का स्वर्ग या नर्कवास से लेकर पूर्व जन्म के बारे में वर्णन हिंदू धर्म के प्रसिद्ध गरुड़ पुराण में मिलता है. ध्यान दें कि जब हिंदू धर्म को मानने वाले किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब उसकी आत्मा की शांति के लिए कई कर्मकांड किए जाते हैं. मान्यता है कि यह क्रिया कर्म 13 दिनों तक चलता है और आखिर में ब्रह्मभोज के बाद आत्मा को शांति मिलती है. इसका पूरा वर्णन गरुड़ पुराण है. इसी कड़ी में एक प्रश्न उठता है कि आखिर पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के बाद श्मशान घाट में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखा जाता है. इसके पीछे का रहस्य क्या है. आइए इस बारे में जानें. 

इसलिए किया गया है मना
हिंदू धर्म के अनुसार दाह संस्कार के बाद शरीर तो अग्नि में नष्ट हो जाता है लेकिन मृत व्यक्ति की आत्मा का अस्तित्व बना रहता है. मान्यता है कि ऐसी स्थिति में श्मशान घाट से जब परिजन निकल रहे होते हैं और उनमें से किसी ने पीछे मुड़कर देख लिया तो इससे आत्मा को परलोक जाने में बहुत दिक्कत होती है. दरअसल, शरीर का अंत हो तो जाता है लेकिन आत्मा का परिवार के प्रति लगाव बना रहता है. ऐसे में नियम कहता है कि अंतिम संस्कार के बाद श्मशान घाट में पीछे मुड़कर वर्जित है.

दाह संस्कार से जुड़े कुछ और नियम 
हिंदू धर्म के अनुसार कभी भी सूर्यास्त के बाद मृत व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से आत्मा मुक्त नहीं हो पाती है. गरुड़ पुराण के अनुसार शव का अंतिम संस्कार होने के बाद घर को धार्मिक विधिविधान से पवित्र और शुद्ध करना अति आवश्यक है. माना जाता है कि श्मशान घाट में महिलाओं का जाना भी सख्त मना है.  इसके पीछए का कारण बताया जाता है कि महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले स्वभाविक रूप से कमजोर होती हैं और रो पड़ती है. अगर मृत शरीर को अग्नि देते समय किसी ने रो दिया को मृत व्यक्ति की आत्मा शांत नहीं हो पाती है और परिवार के मोह में बंधी रहती है. इस तरह दाह संस्कार के कुछ नियमों का पालन किया जाता है. 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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