Ekadashi Puja: धर्म शास्त्रों में कार्तिक शुक्ल एकादशी का महत्व बहुत अधिक बताया गया है जिसे प्रबोधिनी ग्यारस या देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. इसी दिन तुलसी विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन के वैवाहिक कार्यक्रम करने वालों का दांपत्य जीवन सफल रहता है.
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Dev Uthani Ekadashi 2023 Puja: देवोत्थान एकादशी का महत्व इसलिए भी बहुत अधिक माना जाता है, क्योंकि इसी दिन विष्णु भगवान चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं और इसी के साथ शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य होने लगते हैं. धर्म शास्त्रों में कार्तिक शुक्ल एकादशी का महत्व बहुत अधिक बताया गया है जिसे प्रबोधिनी ग्यारस या देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. इसी दिन तुलसी विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन के वैवाहिक कार्यक्रम करने वालों का दांपत्य जीवन सफल रहता है.
देवोत्थान एकादशी की कथा
प्राचीन काल में एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे. प्रजा तथा नौकर चाकर से लेकर पशुओं तक को एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाता था. एक दिन पड़ोसी राज्य का एक व्यक्ति आया और राजा के पास पहुंच कर उनसे नौकरी देने का आग्रह किया. राजा ने उसे नौकरी तो दी साथ ही उसे एकादशी का नियम भी बता दिया. फलों से उसे तृप्ति नहीं हुई तो उसने राजा से अनुनय विनय कर आटा, दाल चावल आदि लिया और नदी किनारे स्नान कर भोजन बनाया और भगवान से आकर उस भोजन को ग्रहण करने का आग्रह किया. भगवान आए और उसके साथ बैठकर भोजन करके चले गए. अगली एकादशी पर उस नौकर ने दोगुना राशन मांगते हुए कहा कि उसके साथ तो भगवान भी भोजन करते हैं. राजा को विश्वास नहीं हुआ तो उसने कहा आप छिप कर देख सकते हैं. उसने नदी किनारे भोजन बना कर भगवान को बुलाया किंतु वह नहीं आए तो वह नदी में कूदकर जान देने के लिए आगे बढ़ा. भगवान ने अपने भक्त की बात सुनी और आकर साथ में भोजन किया. उस दिन से राजा ने सोचा कि मन शुद्ध न हुआ तो व्रत उपवास सब व्यर्थ है. इसके बाद राजा शुद्ध मन से उपवास करने लगा. इस दिन जो व्यक्ति शुद्ध मन से उपवास और विष्णु भगवान की पूजा करता है, उसे भगवत प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)