Pitru Amavasya 2024: पितृ पक्ष के 15 दिन तक श्राद्ध-तर्पण करने के बाद पितृ अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है. जो लोग किसी कारणवश पूरे पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान पुण्य जैसे कार्य नहीं कर पाए हैं वे पितृ अमावस्या के दिन कुछ कार्य जरूर कर लें.
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Sarva Pitru Amavasya 2024 : पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनके निमित्त तर्पण-श्राद्ध किया जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी के अनुसार जो लोग 15 दिनों में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर पाए हैं, वे पितृ अमावस्या के दिन जरूर अपने पितरों को याद करके उनके नाम से दान पुण्य जरूर कर लें.
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बहुत अहम होती है पितृ अमावस्या
कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या होता है और अमावस्या तिथि पर पितरों का आधिपत्य है. ऐसे में पितृ पक्ष की अमावस्या का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन उन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जा सकता है, जिन मृतात्मा की मृत्यु तिथि आप नहीं जानते हैं. पितृ पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या और मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं. इस वर्ष यह 2 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन है.
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पितरों की शांति के लिए करें ये काम
पूर्वजों या पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका खुश रहना भी बेहद जरूरी है. जिसका सबसे अच्छा उपाय पितृपक्ष के दौरान उनका श्राद्ध करना है. वैसे तो मृत माता-पिता का श्राद्ध तिथि अनुसार करना ही अच्छा होता है, लेकिन यदि किसी कारणवश आपको उनकी मृत्यु तिथि नहीं पता है, तो आप उनका तर्पण , श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी कर सकते हैं. पितरों की आत्मा शांति हेतु अन्न, वस्त्र का दान देना एवं श्राद्ध करना श्रेयस्कर है. इससे पितर देवता प्रसन्न होकर अपने कुल की वृद्धि हेतु संतान एवं धन समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
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मांस मदिरा और तामसिक भोजन से रहें दूर
अमावस्या के दिन किया गया दान और श्राद्ध न केवल पूर्वजों को बल्कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को भी शांति देता है. इस दिन बनाए जाने वाले भोजन में लहसुन प्याज का प्रयोग भूलकर भी मत करें. मांस मदिरा का प्रयोग न तो आपको करना है और न ही ऐसे ब्राह्मण को श्राद्ध के लिए आमंत्रित करना है, जिसने इस तरह के भोजन का सेवन किया हो.
जरूरतमंद लोगों की करें मदद
पितृपक्ष के दौरान और खासतौर पर अमावस्या के दिन कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति आपके पास आता है, तो सामर्थ्य अनुसार उनकी मदद जरूर करें, कोशिश करें कि वह व्यक्ति आपके पास से निराश न लौटे.
इन चीजों का दान करना होता है शुभ
इस दिन पितरों को अर्घ्य और उनके नाम से दान करने से पितृ तर्पण का फल प्राप्त होता है. ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, बर्तन, तिल, चांदी के पात्र या अन्य कोई सामान और दक्षिणा अवश्य ही देनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)