Share Market Scam: शेयर बाजार वो जगह है, जहां लोग मिनटों में करोड़पति भी बनते हैं और खाकपति भी. शेयर के मायाजाल में फंसकर कईयों ने नाम कमाया तो कई बदनाम भी हुए. बदनामों की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम रहा हर्षद मेहता का. इस शख्स ने साल 1992 में 4000 करोड़ के शेयर घोटाले को अंजाम दिया था.
Ketan Parekh Scam: शेयर बाजार वो जगह है, जहां लोग मिनटों में करोड़पति भी बनते हैं और खाकपति भी. शेयर के मायाजाल में फंसकर कईयों ने नाम कमाया तो कई बदनाम भी हुए. बदनामों की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम रहा हर्षद मेहता का. इस शख्स ने साल 1992 में 4000 करोड़ के शेयर घोटाले को अंजाम दिया था. लेकिन उनसे भी आगे निकला उनका चेला केतन पारेख. आज बात हर्षद मेहता की नहीं बल्कि केतन पारेख की करेंगे, जिसके घोटाले का भंडाफोड़ 2001 में हुआ. अब वो एक फिर से वो बाजार नियामक सेबी की रडार पर आ गया है. सेबी ने केतन पारेख को एक बार फिर से बैन कर दिया है. इस बार उनपर ‘फ्रंट-रनिंग’ के जरिए 65.77 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप लगा है. सिंगापुर में बैठकर इस शख्स ने सेबी और शेयर बाजार के नाक में दम कर दिया. आज कहानी उसी केतन पारेख की....
एक वक्त था जब केतन पारेख शेयर मार्केट की दुनिया में 'वन मैन आर्मी' कहा जाता था, वो जिस भी स्टॉक को खरीदता, निवेशक उसके पीछे भागने लग जाते. वो जिस शेयर को बेचता वो शेयर समंदर की गहराईयों में चली जाती थी. उस जमाने में वो स्टॉक मार्केट की दुनिया का बेताज बादशाह था. उस दौर में वो 'वन मैन आर्मी' और 'पेंटाफोर बुल' के नाम से मशहूर था. अपने गुरु हर्षद मेहता से उंसने शेयर बाजार के गुर सीखे. साल 1992 के शेयर बाजार स्कैम में भी वो शामिल था. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट केतन ब्रोकरेज फैमिली से आता था. 1992 के स्कैम में वो हर्षद मेहता के साथ था, लेकिन घोटाले के पर्दाफाश के दौरान वो बचकर निकलने में कामियाब रहा.
केतन पारेख ने हर्षद मेहता से शेयर बाजार के गुर सीखे थे. उसने हर्षद मेहता के पंप एंड डंप फॉर्मूले का बारीकी को सीखा और इसे अमल में भी लाया. असली खेल साल 1999-2000 के दौरान शुरू हुआ. केतन ने भांप चुका था कि आने वाला दौर आईटी सेक्टर का है. उसने आईटी कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाना शुरू किया. लेकिन उसने इसके लिए छोटी कंपनियों को चुना. उन कंपनियों को चुना, जिसकी कम लिक्विडिटी और कम मार्केट कैप थे. उसकी लिस्ट में आईटी, टेलीकॉम और एंटरटेनमेंट जैसे सेक्टर के शेयर शामिल थे. वो निवेशकों के साथ सांठ-गांठ कर शेयरों के भाव बढ़ाता और मोटा मुनाफा कमाता था. इसके लिए उसने पंप एंड डंप और के-10 का इस्तेमाल किया. बॉम्बे के बजाए कोलकाता स्टॉक मार्केट को चुना.
केतन ने चेन्नई की सॉफ्टवेयर कंपनी पेंटाफोर, जो भारी वित्तीय संकट से जूझ रही थी, उसे अपने कांड के लिए चुना. प्रमोटर्स के साथ मिलीभगत करके केतन ने कंपनी के शेयर खरीद लिए. उसने फिर उसे बेचना शुरू किया और फिर उसे अपने सहयोगियों के जरिए खरीदना भी शुरू किया. इसके चलते कंपनी के शेयर भागने लगे. इसे उसने पेंटाफोर फॉर्मूला का नाम दिया. उसने इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल 10 से ज्यादा कंपनियों के साथ किया. हालात ये हुए कि पेंटागन, जिसके शेयर 175 रुपये पर थे चढ़कर 2700 रुपये पर पहुंच गए. बाकी शेयरों का भी यही हाल था. केतन से भरभर कर पैसा कमाया. लेकिन उसका बुलबुला फूटने वाला था. साल 2001 में जैसे ही सरकार ने बजट पेश किया. शेयर बाजार 176 अंक गिर गया.
शेयर बाजार में गिरावट आई तो सेबी और आरबीआई ने मामले की जांच शुरू की. जो चीजें सामने आई उसे देखकर रेगुलेट हैरान रह गई. केतन पारेख पर बाजार में हेरफेर, सर्कुलर ट्रेडिंग, पंप और डंप और जालसाजी करके बैंक से कर्ज लेने का आरोपी पाया गया. इधर जांच शुरू हुई और उधर बैंक ऑफ इंडिया ने केतन पर 137 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़े का आरोप लगाया. इस खबर के आने के बाद शेयर बाजार क्रैश हो गया.
जांच में खुलासा हुआ कि केतन ने शेल कंपनियों और बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर 800 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लिया. केतन का भंडाफोर होने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया. लोगों के पैसे डूब गए. सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिसर (SFIO) की रिपोर्ट के मुताबिक, केतन पारेख ने उस वक्त करीब 40,000 करोड़ रुपये का स्कैम किया था. उसने शेल कंपनियों के जरिए बैंकों को चूना लगाया था. उसके घोटाले के जरिए साल 2012 में माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक दिवालिया हो गया. केतन ने इस बैंक से 1200 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. ब्याज मिलाकर यह रकम 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई थी. कर्ज चुकाने से पहले उसने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया, जिससे बैंक के पैसे डूब गए.
सेबी ने केतन समेत 26 संस्थाओं पर ट्रेडिंग बैन लगा दिया. उसे तीन साल की सजा भी हुई, लेकिन बाद में वह जमानत पर छूट गया. एक बार फिर से केतन पारेख का जिन्न बाजार में जाग गया. इस बार उसने ‘फ्रंट-रनिंग’के जरिए 65.77 करोड़ रुपये का स्कैम किया है. वो अपनी पहचान छुपाने के लिए बार-बार अपना फोन नंबर बदलता था, लेकिन सेबी ने पारेख और उसके इस्तेमाल किए गए कई फोन नंबरों के बीच संबंध स्थापित कर इस स्कैम का भंडाफोड किया. सेबी ने पाया कि पारेख इन नंबरों का इस्तेमाल फ्रंट-रनिंग करने वाली संस्थाओं को ट्रेडिंग निर्देश देने के लिए किया था.
सेबी ने केतन पारेख की पत्नी ममता पारेख के फोन नंबर की लोकेशन से केतन की इस साजिश का खुलासा किया. लोकेशन डेटा, व्हाट्सएप चैट और आरोपियों के बयानों की मदद से इस स्कैम का खुलासा हो सका. केतन पारेख ने 15 मार्च 2023 को सेबी के ऑफिस में एक अन्य कंपनी के मामले में अपनी पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड की कॉपी दी, जिसपर मोबाइल नंबर दर्ज था, वहीं सेबी की विज़िटर स्लिप पर एक और नंबर दर्ज था. जब इन दोनों नंबर की जांच की गई तो पता चला कि इनमें से एक नबर पारेख की पत्नी, ममता पारेख के नाम पर रजिस्टर्ड था और उसका पता भी वही था जो केतन पारेख के आधार कार्ड पर लिखा था.
इसके बाद पता चला कि केतन अपनी पत्नी के नंबर को इस्तेमाल फ्रंट रनिंग के जरिए करता था. इसके बाद कॉल रिकॉर्ड डेटा (CDR), लोकेशन , चैट आदि की मदद से सेबी ने इस स्कैम का भंडाफोड किया है.
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