Baye Fall Muslims: इस्लाम में नमाज, रोजा, जकात, हज को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है. दुनिया भर के मुसलमान इन नियमों का पालन करते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मुस्लिमों का एक ऐसा समूह भी है जो ना तो नमाज पढ़ता है और ना रोजा रखता है.
Namaz and Roza: अफ्रीका के सेनेगल देश में रहने वाले मुसलमानों का एक हिस्सा बिल्कुल अलग तरह की इस्लामिक प्रैक्टिस करता है. यानी कि इनका इबादत का तरीका पूरी दुनिया के मुसलमानों से बिल्कुल अलग है. बाय फॉल समुदाय के मुसलमान ना नमाज पढ़ते हैं, ना रोजा रखते हैं.
बाय फॉल समुदाय के ये मुसलमान एक मस्जिद के बाहर छोटा घेरा बनाकर इकट्ठा होते हैं. फिर झूमते-गाते हैं. साथ ही एक स्वर में गाते हैं. वे इसी तरह उत्सव के रूप में अल्लाह की इबादत करते हैं. वे नाचते-गाते हुए इबादत में इस कदर डूब जाते हैं कि पसीने-पसीने हो जाते हैं.
एक ओर कुरान के अनुसार हर मुसलमान पर 5 वक्त की नमाज फर्ज है. यानी कि सच्चे मुसलमान को दिन में 5 बार नमाज अदा करके अल्लाह की इबादत करनी होती है, लेकिन बाय फॉल मुस्लिम हफ्ते में केवल 2 बार ही इबादत करते हैं. हालांकि उनकी प्रार्थना 2 घंटे तक चलती है.
भले ही दुनिया के बाकी मुसलमानों को इनकी प्रथाएं इस्लामिक तौर-तरीकों से बहुत दूर लगती हैं. लेकिन बाय फॉल के अनुयायियों के लिए इबादत वो नहीं है, जो दूसरे मुसलमान दिन में 5 बार नमाज़ पढ़कर और रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखकर व्यक्त करते हैं. बल्कि इन लोगों के लिए कठिन परिश्रम और सामुदायिक सेवाएं करना ही इबादत का प्रमुख जरिया है. उनके लिए जन्नत आखिरी मंजिल की तरह नहीं है, बल्कि वे इसे मेहनत करने वालों के लिए अल्लाह की ओर से इनाम मानते हैं. इसलिए वे कड़ी मेहनत करने में भरोसा करते हैं.
बाय फॉल सेनेगल के बड़े मौराइड ब्रदरहुड का एक उप-समूह है, जो अन्य मुस्लिम समूहों से अलग है. ये मुसलमान पश्चिमी अफ्रीका के प्रमुख मुस्लिम देश सेनेगल की 1 करोड़ 70 लाख की आबादी का एक छोटा सा हिस्सा है. इनकी कुछ प्रथाएं इस्लाम के खिलाफ भी मानी जाती हैं. जैसे कि कई लोगों का मानना है कि इस समुदाय के लोग शराब-गांजा भी पीते हैं, जो कि इस्लाम में हराम है.
बाय फॉल समुदाय का मानना है कि मबैके कादिओर गाँव में ही उनके संस्थापक इब्राहिमा फॉल पहली बार शेख अहमदौ बाम्बा से मिले थे, जिन्होंने 19वीं सदी में मौराइड ब्रदरहुड की स्थापना की थी. यह सूफी इस्लाम की एक शाखा है, जिसके लिए कहा जाता है कि उन्होंने बाम्बा की सेवाओं के लिए खुद को समर्पित कर दिया था.
इन मुसलमानों का पहनावा भी बेहद अलग और खास है. बाय फॉल मुस्लिम पैचवर्क वाले कपड़े पहनते हैं. इनके कपड़े अलग-अलग रंगों के ढेर सारे पैबंदों से बने होते हैं. इन लोगों का मानना है कि इब्राहिम फॉल बाम्बा की सेवाओं में इस कदर डूब जाते थे कि उन्हें अपने भोजन, रोजा रखने, नमाज करने तक ख्याल नहीं रहता है. इसी अनदेखी में उनके कपड़े भी बेहद खराब हो जाते थे. इसलिए ये लोग उनकी ही याद में पैबंद लगे कपड़े पहनते हैं. साथ ही निस्वार्थ सेवा और भक्ति में भरोसा करते हैं. बाय फॉल समुदाय स्कूल बनाने, स्वास्थ्य केंद्र चलाने, सामाजिक व्यापार करने जैसे काम करने में बहुत आगे है. (फोटो-बीबीसी एवं सोशल मीडिया)
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