अजरबैजान की सीमा के पास ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. करीब 12 घंटे तक राहत एवं बचाव कार्य चला, जिसके बाद हेलिकॉप्टर का मलबा बरामद किया गया. अब अटकलें शुरू हो गई हैं कि क्या इस घटना के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ है. मोसाद क्या है और कैसे काम करती है. चलिए आपको समझाते हैं.
मोसाद ने पूरा प्लान बनाया और इजरायल की फोर्स युगांडा के लिए रवाना हुई. ये लोग एन्तेबे एयरपोर्ट पहुंचे और वहां पहुंचकर हाइजैकर्स को मारना शुरू कर दिया. इसमें युगांडा के कुछ सैनिक भी मारे गए. इजरायल ने सभी नागरिकों को छुड़ा लिया और सुरक्षित सबको वापस ले आए.
मोसाद का सालाना बजट 2.73 बिलियन डॉलर है और करीब 7000 लोग इसमें काम करते हैं. मोसाद ने एक चौंकाने वाला ऑपरेशन तब किया था, जब एयर फ्रांस की एक फ्लाइट को हाइजैक कर लिया गया था. इस प्लेन में 100 यहूदी थे, जिनमें 90 फीसदी इजरायल के नागरिक थे.
1972 में जर्मनी में म्यूनिख ओलंपिक गेम्स चल रहे थे. वहां आतंकियों ने 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी. इसके बाद इजरायल ने सीरिया और लेबनान में ब्लैक सेपटेंबर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के 10 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर दी. इसके बाद शुरुआत हुई ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड की, जो कई वर्षों तक चला और उन सभी आतंकियों को मौत की नींद सुलाने के बाद खत्म हुआ.
मोसाद. दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी. दुश्मनों को निपटाने के इनके पास ऐसे-ऐसे प्लान हैं कि किसी को शक भी ना हो. कहते हैं कि अगर दुनिया में कहीं कोई इजरायल के किसी नागरिक की हत्या कर दे, तो बिना उस दुश्मन को निपटाए मोसाद चैन से नहीं बैठती.
इंस्टिट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन्स, जिसे मोसाद कहा जाता है, इजरायल की सुरक्षा की रीढ़ है. खुफिया जानकारी जुटाना, आतंक के खिलाफ मुकाबला और सीक्रेट ऑपरेशन में इसका कोई सानी नहीं है. 13 दिसंबर 1949 को मोसाद की स्थापना की गई थी. तत्कालीन पीएम डेविड बेन गुरियन की सिफारिश पर इसका गठन किया गया था और रूवेन शिलोआ इसके पहले डायरेक्टर थे.
1951 में इसकी रिपोर्टिंग सीधे इजरायल के प्रधानमंत्री को हो गई. मोसाद का ढांचा बेहद गुप्त है. इसको कई डिविजन्स में बांटा गया है. इसके डायरेक्टर इजरायल डिफेंस फोर्सेज के मेजर जनरल रैंक के बराबर होते हैं.
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