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Photos: सफेद सोने की चादर में धरती का स्वर्ग.. गुलमर्ग-सोनमर्ग-पहलगाम में ताजी बर्फबारी, लद्दाख का भी मौसम जान लीजिए

Snowfall in Kashmir: मौसम विभाग के मुताबिक, बादलों के चलते कश्मीर घाटी में न्यूनतम तापमान में सुधार देखा गया है, लेकिन दिन के समय तापमान में गिरावट आई है. श्रीनगर में न्यूनतम तापमान -0.5 डिग्री, गुलमर्ग में -5.2 डिग्री, और जोजिला में -19 डिग्री तक पहुंच गया है. 

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कश्मीर और लद्दाख इन दिनों बर्फ की सफेद चादर में लिपटे हुए हैं. पहाड़ी इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी दर्ज की गई है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के ऊंचे क्षेत्रों में देर रात ताजा बर्फबारी शुरू हुई, जो अब भी कई जगहों पर जारी है. इस बर्फबारी ने पहाड़ों से बहने वाली ठंडी हवाओं के साथ घाटी में शीतलहर का माहौल बना दिया है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है.

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गुलमर्ग, सोनमर्ग, जोजिला दर्रा, दूधपथरी और अन्य प्रमुख स्थानों पर ताजा बर्फबारी हुई है. सबसे ज्यादा बर्फ जमाव सिंथन टॉप पर 13-15 इंच दर्ज किया गया है, जबकि जोजिला दर्रा में 12 इंच, पीर की गली में 10-12 इंच, सोनमर्ग में 10 इंच, और गुलमर्ग में 3 इंच बर्फ पड़ी है. इसी तरह, तंगमर्ग, शोपियां, और पहलगाम जैसे स्थानों पर भी 2 से 4 इंच तक बर्फबारी हुई है, जिससे इन इलाकों का नजारा बेहद खूबसूरत हो गया है.

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भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, बादलों के चलते कश्मीर घाटी में न्यूनतम तापमान में सुधार देखा गया है, लेकिन दिन के समय तापमान में गिरावट आई है. श्रीनगर में न्यूनतम तापमान -0.5 डिग्री, गुलमर्ग में -5.2 डिग्री, और जोजिला में -19 डिग्री तक पहुंच गया है. लद्दाख के लेह और कारगिल जैसे इलाकों में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है. झीलों, नदियों और झरनों के किनारे आंशिक रूप से जम चुके हैं, जिससे ठंड का प्रकोप और बढ़ गया है.

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मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि 20 दिसंबर तक केंद्र शासित प्रदेश में मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. कड़ाके की ठंड के साथ घाटी के लोग कठिन परिस्थितियों का सामना करेंगे. 'चिल्लई कलां' की शुरुआत से पहले ही ठंड का यह प्रभाव घाटी के जीवन को चुनौतीपूर्ण बना रहा है.

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आईएमडी ने यह भी संकेत दिया है कि इस बार ला नीना प्रभाव के कारण सर्दियां अधिक कठोर होंगी. प्रशांत महासागर के औसत समुद्री सतह तापमान में गिरावट के चलते सर्दी लंबी और ज्यादा ठंडी हो सकती है. इसके साथ-साथ बर्फबारी और बारिश की तीव्रता भी बढ़ेगी. 21 दिसंबर से शुरू होने वाले 'चिल्लई कलां' के दौरान ठंड और बारिश का प्रभाव और अधिक महसूस किया जाएगा.

इन हालातों में घाटी के लोग अपनी दिनचर्या को ठंड के हिसाब से ढालने की कोशिश कर रहे हैं. पर्यटन स्थलों पर बर्फबारी के चलते सैलानियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, लेकिन कड़ाके की ठंड और जमी हुई सड़कों ने यातायात और जनजीवन को प्रभावित किया है. आने वाले दिनों में घाटी का मौसम और अधिक चुनौतीपूर्ण होने की संभावना है.

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