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Baba Siddique Murder: बिहार के बाबा सिद्दीकी कैसे बन गए मुंबई की सियासत के दिग्गज? इस एक्टर से मुलाकात के बाद खुल गई थी किस्मत

Baba Siddiqui shot dead: बाबा सिद्दीकी की हत्या (Baba Siddiqui murder) से मुंबई (महाराष्ट्र) के लोग ही नहीं बल्कि बिहार के लोग भी मायूस और परेशान हैं. बाबा सिद्दीकी पर गोली चलने की खबर पता चलते ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से लेकर सलमान खान तक के फोन एक साथ घनघनाने लगे. बाबा सिद्दीकी राजनेता होने के साथ-साथ अपनी ग्रांड इफ्तार पार्टियों के लिए भी मशहूर थे. शाहरुख और सलमान समेत बॉलीवुड के तमाम सेलिब्रेटी उनकी पार्टियों में अक्‍सर नजर आते थे. बाबा सिद्दीकी की मौत का मातम बिहार (Baba Siddiqui Bihar connection) में क्यों मनाया जा रहा है, आइए बताते हैं.

60 साल का नाता टूटा

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60 साल का नाता टूटा

बाबा सिद्दीकी मुंबई आए तो बहुत छोटे थे. वो अपने अब्बा अब्दुल करीम के साथ शहर की एक खोली में रहते थे. 60 साल बाद जब बाबा ने मुंबई को अलविदा कहा तो न सिर्फ बांद्रा बल्कि पूरी शहर सन्नाटे में है. महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर मांझा का रहने वाला एक लड़का कैसे मुंबई का सियासी सेलिब्रेटी बन गया? और Baba Siddiqui की मौत का मातम बिहार में क्यों मनाया जा रहा है, आइए बताते हैं.

बाबा का बचपन

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बाबा का बचपन

बिहार के गोपालगंज के मांझा में जन्मे बाबा सिद्दीकी पहली बार 1964 में मुंबई आए थे, तो अपने अब्बा के साथ रहते थे. उनके वालिद घड़ियां ठीक करते थे. वो उस समय वांद्रा की एक खोली में रहते थे. उनको करीब से जानने वाले बताते हैं कि बाबा को अपनी जड़ों से बहुत लगाव था. माझा या बिहार में कहीं से भी कोई उनके पास आता था तो वह उससे उसी मोहब्बत और अदब से मिलते थे, जैसा व्यवहार को अपने तमाम कामयाब दोस्तों के साथ रखते थे. बाबा की स्कूलिंग मुंबई में हुई. एमएमके कॉलेज से ग्रेजुएशन कंप्लीट करने से पहले बाबा स्टूडेंट पॉलिटिक्स में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे. बाबा को बचपन से ही बड़े-बड़े और नए लोगों से मिलने और उनसे बात करने करने का शौक था. जिससे एक बार दिल मिल जाता था, उससे बाबा शायद ही कभी नाराज हुए होंगे. उन्हें लोगों का मेल मिलाप कराने में बहुत अच्छा लगता था.

बाबा की जवानी और जिंदगानी

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बाबा की जवानी और जिंदगानी

फिल्मी दुनिया की चकाचौंध उन्हें बचपन से खूब रास आती थी. उन्हें फिल्मों से बहुत लगाव था. पैशन और अपनी धुन के पक्के बाबा सिद्दीकी पॉलिटिक्स में कामयाब न होते तो बाबा बॉलीवुड में ही होते. उन्होंने कुछ समय के लिए फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ काम किया और उनके तौर तरीके सीखे. यहीं उन्होंने अपनी बॉलीवुड में एंट्री का रास्ता बनाया और दौलत-शोहरत कमाई. उस समय उनके कुछ दोस्त आगे चलकर सुपरस्टार बन गए. बाबा ने अपनी नेटवर्किंग का दायरा और बढ़ाते हुए वांद्रा इलाके पर फोकस किया.  इस इलाके में उत्तर भारतीय खासकर यूपी-बिहार से आकर बसे मुस्लिम लोगों की तादाद काफी ज्यादा है.

सियासत में एंट्री

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सियासत में एंट्री

1995 का दौर आते आते उनकी इलाके पर मजबूत पकड़ बन गई थी. गरीब लोग उनमें अपना रहनुमान देखने लगे थे. बाबा सिद्दीकी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो यहीं से चुनाव लड़ा, हालांकि वो पहला मुकाबला हार गए. आगे किस्मत ने साथ दिया और चार साल बाद 1999 में विलासराव देशमुख ने कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उन्होंने बाबा सिद्दीकी को मौका दिया.

'मुंबई सबको मौका देती है'

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'मुंबई सबको मौका देती है'

मुंबई सबको मौका देती है. किसी फिल्म के इस मशहूर डायलॉग को बाबा सिद्दीकी ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर सच साबित करके दिखाया था. सियासत में आने के बाद बाबा की इमेज का ऐसा मेकओवर हुआ कि उनके घर बड़े-बड़े फिल्मी सितारे आने लगे. आगे चलकर बाबा सिद्दीकी ने रमजान में इफ्तारी की शुरुआत की.  जिसमें शाहरूख और सलमान जैसे सुपरस्टार के आने से वो देशभर की मीडिया की सुर्खियों में आ गए.

एक मुलाकात ने बदल दी जिंदगी

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एक मुलाकात ने बदल दी जिंदगी

कहा जाता है कि बाबा सिद्दीकी को पहली बार टिकट देने और दिलाने में कांग्रेस नेता सुनील दत्त ने पैरवी की थी. सुनील दत्त के कहने पर ही विलासराव देशमुख ने बाबा को टिकट दिया था. 

अलविदा 'बाबा'

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अलविदा 'बाबा'

महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार गुट के बड़े नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या (Baba Siddique murder news) कर दी गई. हत्याकांड की ये वारदात तब हुई जब बाबा सिद्दीकी दशहरे के पर्व पर अपने मुंबई ऑफिस के सामने पटाखे फोड़ रहे थे.

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