Imran Khan News: एजेंसी ने इमरान को सभी दस्तावेजों के साथ 1 अगस्त को दोपहर में पेश होने के लिए कहा है. एक दिन पहले भी एफआईए ने पूर्व प्रधानमंत्री से करीब दो घंटे तक पूछताछ की थी और इस मामले में उनका बयान दर्ज किया था.
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Pakistan News: संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने बुधवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान को राजनयिक केबल से संबंधित एक मामले में 1 अगस्त को पेश होने के लिए बुलाया है. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि इसमें उनकी सरकार के खिलाफ अमेरिका द्वारा दी गई धमकी का विवरण शामिल है.
एक दिन पहले भी एफआईए ने पूर्व प्रधानमंत्री से करीब दो घंटे तक पूछताछ की थी और मामले में उनका बयान दर्ज किया था. जियो न्यूज के मुताबिक, ताजा नोटिस में जांच एजेंसी ने खान को सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ 1 अगस्त को दोपहर में संयुक्त जांच टीम के सामने पेश होने के लिए कहा है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, संघीय एजेंसी ने विवादास्पद अमेरिकी सिफर की चल रही जांच के संबंध में पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरेशी से लगभग दो घंटे तक पूछताछ की।
बता दें पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर सिफर विवाद उठ खड़ा हुआ है. साइफर मुद्दा पिछले साल खान द्वारा सत्ता से बेदखल होने के बाद किए गए दावे से जुड़ा है. उन्होंने दावा कि उन्हें अमेरिकी साजिश के तहत बाहर का रास्ता दिखाया गया था और उन्होंने अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए एक राजनयिक केबल का हवाला दिया था.
दोबारा उभरा विवाद?
यह विवाद तब फिर से उभर आया जब खान के प्रधान सचिव आजम खान, जो पिछले महीने से लापता थे, अचानक सामने आए और मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख ने उन्हें राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गुप्त संचार का उपयोग करने के लिए कहा था.
आजम खान ने अपने बयान में कबूल किया था कि पीटीआई प्रमुख ने कथित तौर पर उनसे कहा था कि ‘विपक्ष द्वारा एनसीएम [अविश्वास प्रस्ताव] में विदेशी भागीदारी की ओर आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए साइफर का इस्तेमाल किया जा सकता है.’ बता दें पिछले साल इमरान खान को अविश्वास प्रस्ता के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया था.
गृह मंत्री ने दी ये प्रतिक्रिया
गृह मंत्री सनाउल्लाह ने आजम खान के कबूलनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खान ने अपराध किया है जिसके लिए उन्हें ‘हर कीमत पर दंडित किया जाना चाहिए’. उन्होंने कहा, ‘किसी वर्गीकृत दस्तावेज़ या जानकारी का एक टुकड़ा सार्वजनिक करना और फिर उसे अपने कब्जे में लेना- कोई भी व्यक्ति कानूनी तौर पर इसे (साइफर) अपने कब्जे में रखने का पात्र नहीं है.