Knowledge News: साल 1967 में ATM में प्लास्टिक कार्ड नहीं पेपर का होता था यूज, पिन नहीं बल्कि होता था कोड
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Knowledge News: साल 1967 में ATM में प्लास्टिक कार्ड नहीं पेपर का होता था यूज, पिन नहीं बल्कि होता था कोड

Knowledge Story: दिलचस्प बात यह है कि एटीएम में आजकल की तरह प्लास्टिक क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं हुआ करता था. लोग वास्तव में ऐसे पेपर वाउचर का उपयोग करते थे जिन पर रेडियोएक्टिव इंक प्रिंट होती थी. इसके बाद इसे मशीन रीड करता था. 

 

Knowledge News: साल 1967 में ATM में प्लास्टिक कार्ड नहीं पेपर का होता था यूज, पिन नहीं बल्कि होता था कोड

ATM Plastic Card: जब से एटीएम आए हैं, हमारा जीवन कितना आसान हो गया है. एटीएम से बिना किसी परेशानी के पैसे की आसान और क्विक विदड्रॉल की सुविधा मिलती है. क्या आप जानते हैं कि पहला एटीएम कब और कहां पर शुरू हुआ था? चलिए हम आपको बताते हैं कि वर्ष 1967 में बार्कलेज बैंक की उत्तरी लंदन शाखा में एटीएम की शुरुआत हुई थी. दिलचस्प बात यह है कि इसमें आजकल की तरह प्लास्टिक क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं हुआ करता था. लोग वास्तव में ऐसे पेपर वाउचर का उपयोग करते थे जिन पर रेडियोएक्टिव इंक प्रिंट होती थी. इसके बाद इसे मशीन रीड करता था. 

पहले एटीएम में जाने के लिए होते थे पहचान कोड

हर कस्टमर के पास एक पहचान कोड हुआ करता था और उसे एक लेनदेन में £10 (करीब 1000 रुपये) तक निकालने की अनुमति थी. आजकल, हम सभी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में एटीएम मशीन का उपयोग करते हैं. एक स्टडी से पता चला है कि ये नकदी मशीनें बेहद ही गंदी होती हैं और इनमें सार्वजनिक शौचालयों की तरह ही कीटाणु होते हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कई एटीएम पर न्यूमरिक कीपैड से स्वैब लिया, जिनका उपयोग एक दिन में कई खरीदारों द्वारा किया जाता है. कम्पेयर करने के लिए सार्वजनिक शौचालयों की सीटों से भी इसी तरह के स्वैब लिए गए. पूरी रात स्वैब को बढ़ने दिया गया.

आजकल पब्लिक टॉयलेट से भी ज्यादा गंदे होते हैं एटीएम

फिर प्रयोगशाला में सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करके बैक्टीरिया का विश्लेषण किया गया. सभी को आश्चर्य हुआ, दोनों स्थानों के नमूनों में स्यूडोमोनैड्स और बैसिलस थे. ये बैक्टीरिया ब्लॉटिंग, दस्त और बीमारी का कारण बनते हैं. मौजूदा महामारी के दौरान एटीएम के छोटे से कमरे में जाना और भी खतरनाक हो गया है. जबकि वह स्थान कीटाणुओं का गढ़ हो सकता है. एटीएम के दरवाजे, बटन, स्क्रीन आदि को छूने वाले लोगों की संख्या महामारी के दौरान एटीएम को बहुत जोखिम भरी जगह बनाती है. कई विशेषज्ञों द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि एटीएम पर लोगों की संख्या को कम करने के लिए ऑनलाइन लेनदेन का सहारा लेना बेहतर होगा.

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