Bagheera Kiplingi : दुनिया की इकलौती शाकाहारी मकड़ी में क्या है खास, 'बघीरा किपलिंगी' क्यों हो रही वायरल?
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Bagheera Kiplingi : दुनिया की इकलौती शाकाहारी मकड़ी में क्या है खास, 'बघीरा किपलिंगी' क्यों हो रही वायरल?

Bagheera Kiplingi : दुनिया में 45,000 मकड़ी प्रजातियां मांसाहारी होती हैं, लेकिन बघीरा किपलिंगी नामक कूदने वाली मकड़ी पौधों को खाती है. यह मकड़ी मध्य अमेरिका और मेक्सिको के जंगलों में पाई जाती है और केवल 5-6 मिमी लंबी होती है. यह अपना अधिकांश समय बबूल के पेड़ों की पुरानी पत्तियों पर बिताती है.

Bagheera Kiplingi

Bagheera Kiplingi : दुनिया में लगभग 45,000 प्रजातियों की मकड़ियां पाई जाती हैं, जिनमें से सभी मांसाहारी होती हैं, लेकिन एक अपवाद है - बघीरा किपलिंगी, जो एक कूदने वाली मकड़ी है और मुख्य रूप से पौधों को ही खाने के लिए जानी जाती है.

यह मकड़ी मध्य अमेरिका और मेक्सिको के जंगलों में पाई जाती है, जिसकी लंबाई केवल 5-6 मिमी होती है और यह अपना अधिकांश समय बबूल के पेड़ों की पुरानी पत्तियों पर बिताती है.

कूदने में माहिर है ये मकड़ी

बघीरा किपलिंगी मकड़ी की खासियत यह है कि यह कूदने वाली मकड़ी है, जो अपने शिकार को पकड़ने के लिए जाल नहीं बनाती, बल्कि उन्हें पीछा करके शिकार पकड़ती है. पेंसिल्वेनिया के विलानोवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रॉबर्ट करी ने बीबीसी न्यूज को बताया कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बहुत तीव्र होती है, इसलिये ऐसा कुछ करना फायदेमंद होता है, जो कोई और नहीं कर रहा हो.

ऐसे हुई थी शाकाहारी होने की पुष्टि

बघीरा किपलिंगी मकड़ी के शाकाहारी आहार की खोज 2001 में कोस्टा रिका में ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी के एरिक ओल्सन ने की थी और 2007 में विलानोवा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट छात्र क्रिस्टोफर मीहान ने इसकी पुष्टि की थी. इन मकड़ियों को बबूल और अन्य पौधों पर रहने वाली चीटियों को हराकर अपने पसंदीदा भोजन तक पहुंचना पड़ता है, इसलिए यह उछलकर अपने खाने की तरफ दौड़ती हैं.

बबूल की झाड़ियों में बिताती है जीवन

किपलिंगी मकड़ी अपना अधिकांश जीवन बबूल की झाड़ियों में बिताती है, जहां उसे हमेशा चींटियों से बचने की जरूरत होती है. शिकार करते वक्त, ये मकड़ियां सक्रिय रूप से चींटियों से बचने के लिए प्रयास करती हैं और जब किसी गार्ड से संपर्क होता है, तो वे रेशम की ड्रॉप-लाइनों का इस्तेमाल पीछे हटने के लिए करती हैं.

रिसर्चर्स ने पाया कि इन मकड़ियों का मुख्य घोंसला पुराने बबूल के पत्तों के किनारे पर होता है, जहां चींटियां कम आती. मैक्सिको में इन मकड़ियों का 90 प्रतिशत भोजन पौधों के ऊतकों से प्राप्त होता था.

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