सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, सेहत के लिए भी वरदान हैं ये 5 जादुई फूल! आयुर्वेद में बताया गया अनमोल खजाना
Advertisement
trendingNow12652627

सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, सेहत के लिए भी वरदान हैं ये 5 जादुई फूल! आयुर्वेद में बताया गया अनमोल खजाना

फूल, अपनी सुंदरता और मनमोहक खुशबू से न केवल हमारे आसपास की दुनिया को खूबसूरत बनाते हैं, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद होते हैं. आयुर्वेद में फूलों को उनके औषधीय गुणों के कारण अनमोल खजाना माना गया है.

सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, सेहत के लिए भी वरदान हैं ये 5 जादुई फूल! आयुर्वेद में बताया गया अनमोल खजाना

फूल, अपनी सुंदरता और मनमोहक खुशबू से न केवल हमारे आसपास की दुनिया को खूबसूरत बनाते हैं, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद होते हैं. आयुर्वेद में फूलों को उनके औषधीय गुणों के कारण अनमोल खजाना माना गया है. कुछ फूल तो ऐसे हैं जो खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ कई बीमारियों से भी हमारी रक्षा करते हैं. 

आज हम आपको ऐसे ही 5 जादुई फूलों के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ आपकी सुंदरता को बढ़ाएंगे बल्कि आपकी सेहत को भी कई तरह से लाभ पहुंचाएंगे. ये 5 फूल हैं- शंखपुष्पी, कचनार, गुड़हल, पलाश और केवड़ा. इनका उपयोग सदियों से आयुर्वेद में होता आ रहा है और इनके फायदों के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

शंखपुष्पी
शंखपुष्पी को आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है. यह मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने और मेमोरी पावर बढ़ाने में मददगार होती है. इसका उपयोग प्राचीन काल से दिमाग को शांत करने, तनाव दूर करने और अनिद्रा की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है. चरक संहिता के अनुसार, शंखपुष्पी ब्रह्म रसायन के रूप में जानी जाती है और मिर्गी जैसी मानसिक समस्याओं में भी फायदेमंद मानी जाती है. इसके सेवन से दिमागी क्षमता बढ़ती है और यह नसों को शांत करने में मदद करती है। साथ ही, यह कुष्ठ, कृमि और विष के प्रभाव को कम करने में भी प्रभावी होती है.

कचनार
कचनार अपनी खूबसूरत कली और छाल के कारण विशेष रूप से जाना जाता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होता है और कब्ज, पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर भगाता है. इसके सेवन से गैस्ट्रिक रस का संतुलन बना रहता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है. इसके अलावा, कचनार की छाल को थायरॉइड संतुलन बनाए रखने में ज्यादा उपयोगी माना जाता है. कचनार गुग्गुल, जो कि कचनार की छाल से बनाई जाती है, आयुर्वेद में थायरॉइड की समस्या के लिए एक प्रभावी औषधि मानी जाती है. इसे त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है. इसकी पत्तियों और छाल में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण त्वचा संबंधी समस्याओं, जैसे खुजली, दाद और एलर्जी में राहत दिलाते हैं. एक सबसे जरूरी बात अगर वजन कम करना है तो भी इस फूल को दैनिक सेवन का हिस्सा बना लें. चरक संहिता के अनुसार इसकी छाल और पत्तियों से बना काढ़ा शरीर में जमा एक्स्ट्रा चर्बी को कम करने में मदद करता है. यह खून के साफ करने और महिलाओं के हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने में भी मददगार होता है. मासिक धर्म की अनियमितता में भी इसका उपयोग लाभदायक होता है.

गुड़हल
गुड़हल जिसे हिबिस्कस कहते हैं में आयरन की मात्रा भरपूर होती है. विटामिन सी, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इसका उपयोग त्वचा और बालों की देखभाल के लिए भी किया जाता है. इसके फूलों का रस लगाने से बालों का झड़ना कम होता है और डैंड्रफ की समस्या दूर होती है. इसके अलावा, यह ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाकर दिल को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है. गुड़हल का सेवन वजन घटाने में भी मदद करता है. इसकी चाय मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करती है, जिससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है. यह लिवर को डिटॉक्स करने और शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है. इसके एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और शरीर के सेल्स को हेल्दी रखते हैं. 

पलाश
पलाश का फूल अपनी चमकदार लाल रंगत के कारण 'जंगल की ज्वाला' के रूप में जाना जाता है, के औषधीय गुण भी किसी से कम नहीं हैं. पेट की कीड़ों को समाप्त करने में इसका कोई सानी नहीं है. इसके कृमिनाशक गुण पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और आंतों की सफाई में मदद करते हैं. यूटीआई को ट्रीट करने में भी मददगार होता है. चरक संहिता और अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे संजीवनी बूटी के रूप में वर्णित किया गया है, जो शरीर के काम करने की क्षमता को बनाए रखने में मदद करती है.

केवड़ा
केवड़ा का फूल भगवान भोले नाथ पर भी अर्पित किया जाता है. अपनी सुगंध के लिए पहचाना जाता है, लेकिन इसके औषधीय गुण भी कम नहीं हैं. यह तनाव को दूर करने और मानसिक बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है. इसके तेल की मालिश सिर दर्द को तुरंत कम करने में प्रभावी होती है. यह जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं में राहत देता है. आयुर्वेद में केवड़ा के अर्क को भूख बढ़ाने और पाचन सुधारने के लिए भी उपयोगी माना गया है. केवड़ा का उपयोग बुखार और शरीर की थकावट को दूर करने के लिए किया जाता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में मददगार होते हैं. यह शरीर को शुद्ध करने और इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग को बढ़ाने में भी मदद करता है.

(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)

Trending news