रियल लाइफ में कोई भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता है उसे दोनों के एफर्ट से मजबूत बनाया जाता है. असल जिंदगी में प्यार का सफर उतार-चढ़ाव से भरा होता है. इसमें प्रेम होने से लेकर मनमुटाव आना हर उतार चढ़ाव के का सामना करना पड़ता है. इस लेख में इन्हीं उतार चढ़ाव को 5 स्टेज में बांटा गया है, जिसके बारे में आपको भी जानना चाहिए.
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प्रेम में डूबे हर किसी को लगता है कि उनका रिश्ता हमेशा फिल्मों की कहानियों की तरह ही खूबसूरत रहेगा. मगर खास बात ये हैं कि रियल लाइफ में कोई भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता है उसे दोनों के एफर्ट से मजबूत बनाया जाता है. असल जिंदगी में प्यार का सफर उतार-चढ़ाव से भरा होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए जब कई रिलेशनशिप पर एक साथ स्टडी किया गया तो कुछ चीजें हर रिश्ते में कॉमन देखने को मिली. समय के साथ हर रिश्ते में कुछ उतार-चढ़ाव आए जिनको कुछ स्टेज में बांटा जा सकता है. इसमें प्रेम होने से लेकर मनमुटाव आना हर उतार चढ़ाव के बारे में बताया गया है. फोर्ब्स में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक रिलेशनशिप को 5 स्टेज में बांट कर दर्शाया गया है, जिसके बारे में आपको भी जानना चाहिए.
1. आकर्षण यानी अट्रैक्शन का फेज (पहले छह महीने)
यह शुरुआती दौर होता है, जहां सब कुछ नया और रोमांचक लगता है. आप अपने पार्टनर को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. साथ में घूमना-फिरना, बातें करना, एक-दूसरे को स्पेशल फील कराना, इस चरण की खासियत होती है. इस दौरान प्यार की मदहोशी में अक्सर आपसी कमियां नजरअंदाज हो जाती हैं. खुल कर बातें करने की कोशिश करते हैं. इसको द मून लैंडिंग फेज भी कहा जाता है.
2. हनीमून फेज (छह महीने से दो साल तक)
इस चरण में आप धीरे-धीरे अपने पार्टनर को असल रूप में समझने लगते हैं. उनकी आदतें, पसंद-नापसंद, स्वभाव सब कुछ सामने आता है. यह वह दौर होता है जहां आप यह तय करते हैं कि आप साथ रह पाएंगे या नहीं. साथ रहने के लिए किन-किन प्राथमिकताओं पर काम करना है. इस दौरान आपसी खटपट भी शुरू हो सकती हैं, लेकिन प्यार बना रहता है तो आपसी बातचीत से रिश्ते को मजबूत बनाया जा सकता है. इस दौरान अपने फ्यूचर के रोड मैप का नीव रखते हैं.
3. इमोशनल फेज (दो साल के बाद)
इस स्टेज में आप एक-दूसरे के साथ रहने के लिए आदत डाल लेते हैं. आपसी कमियों को स्वीकार करना सीखते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यह वो समय होता है, जहां आप देखते हैं कि आपका पार्टनर आपके सुख-दुख में कितना साथ देता है. अपनी जिम्मेदारियों को बांट लेते हैं. इस दौर की खास बात ये है अपने पार्टनर के खुशी के लिए कंप्रोमाइज करना भी शुरू कर देते हैं.
4. कमिटमेंट का दौर (दो साल के बाद)
इस स्टेज में आते आते शुरुआत के सारे स्पार्क्स खत्म हो चुके होते हैं, कपल को इस बात डर लगने लगता है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध कम हो सकता है. इस स्टेज में लोगों को एक दूसरे के प्रति थोड़ा अटेंटिव रहना चाहिए, इसी स्टेज में सतर्क रहने की जरूरत होती है. ऐसे रिलेशनशिप को रोमांचक बनाने के लिए एक दूसरे के प्रति हर छोटा-बड़ा एफर्ट बहुत मायने रखता है. इस स्टेज में अपने कमेटमेंट के प्रति बहुत तटस्थ होने की जरूरत होती है. इस स्थिति में एक दूसरे के खूबसूरती और यूनिक आदतों को सराहना चाहिए.
5. मैच्योर रिलेशनशिप (पांच साल के बाद)
यह एक ऐसा स्टेज है जहां संबंध लगभग मैच्योर हो चुका होता है. आप अपने पार्टनर को पूरी तरह से स्वीकार कर चुके होते हैं. उनकी कमियों के साथ-साथ उनकी खूबियों को भी प्यार करते हैं. आप एक-दूसरे के सबसे बड़े सहारे बन जाते हैं.