Madhya Pradesh News: देश का वो मंदिर, जहां आज भी कैद में हैं 'भोलेनाथ'; मजबूरी में चोरी- छिपे जल अर्पित करते हैं श्रद्धालु
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Madhya Pradesh News: देश का वो मंदिर, जहां आज भी कैद में हैं 'भोलेनाथ'; मजबूरी में चोरी- छिपे जल अर्पित करते हैं श्रद्धालु

Madhya Pradesh Raisen Fort News: क्या आप यकीन कर सकते हैं कि सनातन धर्मावलंबियों के बाहुल्य वाले हमारे देश में आज भी महादेव सरकारी तालों में बंद हैं. यह मंदिर मध्य प्रदेश में हैं, जिस में हिंदू पूजा नहीं कर सकते.

Madhya Pradesh News: देश का वो मंदिर, जहां आज भी कैद में हैं 'भोलेनाथ'; मजबूरी में चोरी- छिपे जल अर्पित करते हैं श्रद्धालु

Madhya Pradesh Someshwar Dham Mahadev Temple News: हमारे देश में अभी भी कई मंदिर है जहां पूजा करना आसान नहीं बल्कि वहां भगवान कैद में या यूं कहें सुरक्षा घेरे में बंद है. ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 45 किलोमीटर दूर रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर धाम महादेव मंदिर का है. फिलहाल ये मंदिर पुरात्व विभाग के अधीन है और इस मंदिर को पूजा करने के लिए साल में एक बार खोला जाता है. वहीं श्रद्धालु सुबह-सुबह 6 बजे चोरी-छिपे 20 फीट लंबे पाइप से शिव को जल चढ़ाते है.

कैद में क्यों हैं भोलेनाथ? 

मध्यप्रदेश के रायसेन किले पर बना सोमेश्वर धाम महादेव मंदिर साल में एक बार बस महाशिवरात्रि के मौके पर खुलता है. कहते हैं कि इस मंदिर को अफगानी शासक शेरशाह ने तोड़ दिया था. 

बताते हैं कि एमपी की राजधानी भोपाल से 45 किलोमीटर दूर रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर धाम महादेव मंदिर 10-11वीं शताब्दी में परमार राजा उदयादित्य ने बनवाया था. किले के अंदर 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण कार्य 11वीं शताब्दी में पूरा हुआ. राजवंश के लोग इस संबंध में नियमित रूप से पूजा पाठ किया करते थे. सन 1543 तक इस मंदिर में नियमित पूजा होती रही. रायसेन के राजा पूरणमल एक युद्ध में शेरशाह से हार गए. इसके बाद रायसेन का किला शेरशाह के कब्जे में चला गया. 

कारीगरों ने चतुराई से छोड़ दिए मंदिर के निशान

शेरशाह ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का फरमान जारी किया. कारीगरों ने बड़ी ही चतुराई के साथ शिवलिंग को हटाकर मस्जिद बना दी लेकिन गर्भ ग्रह के ऊपर श्री गणेश की प्रतिमा और अन्य चिन्ह छोड़ दिए ताकि भविष्य में यह स्पष्ट हो जाए कि यह निर्माण कार्य मूल रूप से एक मंदिर है. ऐसा ही हुआ भी.
 
आजादी के बाद सन 1974 में रायसेन में इस मंदिर को लेकर एक बड़ा आंदोलन हुआ. मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने स्वयं जाकर मंदिर के ताले खुलवाए. चूंकि मंदिर किले पर स्थित है और यह किला  प्राचीन महत्व का है, जहां पर 10 वीं शताब्दी का शिवलिंग स्थापित है. इसलिए उसकी देखभाल का काम पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया. 

साल में बस एक बार शिवरात्रि पर खुलते हैं कपाट

हर साल शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. तब से लेकर अब तक हर साल की शिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और मेले के दौरान शिव मंदिर के ताले खुले रहते हैं. बाकी के 364 दिन इस मंदिर में ताला लगा रहता है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हो जाने के बाद इसे ताले में बंद कर दिया गया था. साल 1974 में नगर के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था.

रायसेन मे 16 फरवरी 2023 को कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने एक बयान जारी करके ना केवल सरकार को शिव कैद होने पर धिक्कारा. उसके वाद पूर्व सीएम उमा भारती रायसेन के किले में स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में जल चढ़ाने गई थीं. लेकिन प्रशासन ने उन्हें किले के नीचे ही रोक दिया. इस पर उन्होंने नाराजगी जताई. इसके बाद कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अफसर उन्हें मंदिर तक लेकर पहुंचे. लेकिन मंदिर का ताला नहीं खोला गया. नतीजतन उमा भारती मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर लौट गईं. उमा भारती ने कहा कि केंद्र और राज्य में हमारी सरकार है,ऐसे में मंदिर का ताला तोड़ दूं यह अशोभनीय होगा.

सरकार चाहे तो हिंदुओं को दे सकती है मंदिर- शहर काजी

इतिहासकार राजीव चौबे बताते है अब इस मंदिर को खुलवाने के लिए बड़े आंदोलन की आवश्कयता है. दुख होता हिंदुस्तान में भगवान कैद है...अब कोई इस मंदिर को लेकर विवाद नही है. मुस्लिम आक्रांताओ की विरासत को आज संजोकर रखा जा रहा है.

रायसेन के शहर काजी जहीरुद्दीन ने ज़ी मीडिया पर साफ कहा वो शिव मंदिर है. उस पर किसी तरह का हिन्दू मुसलमान विवाद नही है. सरकार चाहे तो हिन्दुओं की आस पूरी कर दे, जिससे वो भगवान का पूजन कर सके. उन्होंने कहा कि इससे मुसलमान समाज को कोई एतराज नहीं होगा. 

भारत मे भगवान कैद क्यों हैं. जब हिन्दू मुसलमान राजी तो क्यों भोलेनाथ डबल ताले में कैद हैं. सवाल ये है कि शिव कैद हैं तो देश में सांस्कृतिक उद्भव कैसा हो रहा है. 

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