उत्तराखंड के पौड़ी और टिहरी जिले में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. यहां लंबे समय से दूषित जल निकासी के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए थे.
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देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव से केंद्र सरकार ने सबक लिया है. केंद्र सरकार ने मणिकुट पर्वत स्थित नीलकंठ धाम में दूषित पानी निकासी और उसके ट्रीटमेंट के लिए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को 90 करोड़ की स्वीकृति दी है. इससे प्राधिकरण सीवर लाइन का निर्माण करेगा. इसमें 51 करोड़ 71 लाख रुपये निर्माण पर और 38 करोड़ 93 लाख रुपये एसटीपी और अन्य मरम्मत पर किए जाएंगे. इसमें सड़कों की मरम्मत भी शामिल है.
सीवर लाइन बिछाने को मंजूरी
दरअसल, ऋषिकेश से सटे पौड़ी और टिहरी जिले में ज्यादा पर्यटकों का दबाव झेल रहे नीलकंठ धाम और उसके आसपास के इलाके में दूषित पानी की निकासी के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे. इसके चलते दूषित पानी सहायक नदियों से होते हुए गंगा तक पहुंच रही थी. अब केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत नीलकंठ परिसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सीवर लाइन बिछाने की योजना को मंजूरी दे दी.
इसी साल शुरू हो जाएगा काम
नीलकंठ में दूषित पानी की निकासी और उसके ट्रीटमेंट के लिए केंद्र सरकार ने 9 करोड़ 60 लाख रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसी साल अप्रैल से सीवर लाइन और उसके ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, इसी योजना के तहत मुनि की रेती क्षेत्र में 12 करोड़ 50 लाख रुपये से 8 एमएलडी और 300 केएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा. इसमें जापान की तकनीक का इस्तेमाल कर डेढ़ किलोमीटर सीवर लाइन भी क्षेत्र में बिछाई जाएगी. स्वर्गाश्रम में पहले ही 3 एमएलडी का प्लांट है. अब इसके उपकरणों को भी बदला जाएगा. साथ ही 3 एमएलडी के एक और नए एसटीपी का निर्माण किया जाएगा. इस पर कुल 16 करोड़ 44 लाख रुपये का खर्च आएगा.