Sambhal Masjid Controversy: रविवार को संभल में जामा मस्जिद के बाहर हजारों की भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई में लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे. इस हिंसा में 4 लोगों की मौत की भी खबर है. लेकिन क्या आप जानते हैं ये पूरा विवाद क्या है आइये जानते हैं घटना से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब.
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Sambhal Masjid Controversy: उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को उस वक्त बवाल हो गया कोर्ट के एडवोकेट कमिश्नर अपनी टीम के साथ जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए वहां पहुंचे. स्थानीय लोगों सर्वे का विरोध करते हुए एडवोकेट कमिश्नर की टीम के साथ धक्कामुक्की की. कुछ ही देर में वहां हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई और पुलिस पर पथराव कर दिया. पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए लाठियां भांजी और आंसू गैस के गोले दागे. आइये आपको बताते हैं क्या है ये विवाद और कैसे इस हिंसा तक पहुंचा.
क्या है जामा संभल जामा मस्जिद विवाद
संभल के बीचो-बींच भगवान कल्कि को समर्पित श्री हरि हर मंदिर है जो सदियों पुराना है. इस मंदिर को जामा मस्जिद बना दिया गया और जामा मस्जिद समिति इसका इस्तेमाल जबरन और गैरकानूनी तरीके से कर रही है.
किसने दर्ज कराया मामला
संभल कोर्ट में वकील हरिशंकर जैन समेत कुल आठ याचिका कर्ताओं ने याचिका दायर की है. हरिशंकर जैन ज्ञानवापी मस्जिद- काशी विश्वनाथ विवाद में भी वकील है. हरिशंकर जैन के अलावा अधिवक्ता पार्थ यादव, संभल में कल्कि देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, नोएडा के वेद पाल सिंह, संभल के राकेश कुमार और जीतपाल यादव याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं.
मंदिर को कब मस्जिद में बदला गया
याचिका में कहा गया है कि बाबर ने 1526 ई. में जब भारत पर आक्रमण किया था तो उसने इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया था. सन् 1527-28 में बाबर की सेना के सिपहसालार हिंदू बेग ने संभल में श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया. इसके बाद मुसलमानों ने मंदिर की इमारत पर कब्जा कर लिया और उसे मस्जिद का रूप देकर इस्तेमाल करने लगे.
याचिका पर कोर्ट ने क्या किया
19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद सिविल जज सीनियर डिविजन आदित्य सिंह की कोर्ट ने आदेश दिया कि संभल की जामा मस्जिद का सर्वे कराया जाएगा और 7 दिन में इसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाएगी. इसके लिए अदालत ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया.
कैसे भड़का संभल का विवाद
19 नवंबर को शाम 4 बजे कोर्ट के आदेश के बाद ही उसी दिन सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंच गई और करीब दो घंटे सर्वेक्षण के बाद 8 बजे टीम मस्जिद से बाहर आ गई, रात होने की वजह से सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका. इसी सर्वे को पूरा करने के लिए रविवार 24 दिसंबर को मस्जिद पहुंची थी. जब टीम अंदर सर्वे कर रही थी इस दौरान बाहर हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई. भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे और कुछ ही पल में वहां हालात बिगड़ गए.
अब यह घटना यूपी ही नहीं दिल्ली तक चर्चा का विषय बनी हुई. इस घटना को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं जो कुछ इस तरह के हैं.
सवाल नंबर 1
संभल में सर्वे के दौरान वहां हिन्दू मुस्लिम पक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा क्यों होने दिया गया. जियाउर्ररहमान बर्क जैसे नेताओं को मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी जैसे भड़काऊ बयान देने के बावजूद खुलेआम घूमने दिया गया.
सवाल नंबर 2
शुक्रवार को जुमे की नमाज के दिन हालात नियंत्रण में रहे तो रविवार सुबह जब कोर्ट कमिश्नर की टीम सर्वे के लिए पहुंची तो अचानक हजारों की भीड़ वहां कैसे पहुंची, क्या खुफिया तंत्र को इसकी जानकारी नहीं हुई.
सवाल नंबर 3
छतों और गलियों में अचानक इतने पत्थर कैसे इकट्ठा हो गए.अलग-अलग गलियों में पत्थरबाज जमा हो गए, लेकिन क्या पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी.
सवाल नंबर 4
पुलिस प्रशासन के साथ स्थानीय लोग भी दावा कर रहे हैं कि संभल में आग भड़काने वाले लोग बाहर से आए थे तो इंटेलीजेंस एक हफ्ते से चल रहे इस घटनाक्रम को क्यों नहीं भांप पाया.
सवाल नंबर 5
पुलिस प्रशासन का दावा है कि उपद्रवियों की ओर से गोलियां भी चलाई गईं. तो क्या हिंसा की साजिश कई दिनों से रची जा रही थी. हथियार जमा किए गए, इस दौरान निगरानी में सख्ती क्यों नहीं बरती गई.