रूस और यूक्रेन यूक्रेन के सेना के बीच जंग जारी है, अभी तक कोई फैसला होता दिखाई नहीं दे रहा है. इस जंग में भारतीयों ने भी अपनी जान गंवाई है. कहा जा रहा है कि भारत से कुछ लोगों को गार्ड या फिर कुक की नौकरी के बहाने रूस ले जाया गया और वहां जेकर उन्हें जंग के मैदान में यूक्रेन के सामने खड़ा कर दिया.
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Indians in Russia Army: रूस-यूक्रेन तीसरे साल भी जारी है. इस जंग का उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और मऊ जिलों से अप्रत्याशित भी जुड़ाव है. पिछले साल इन जिलों के करीब एक दर्जन युवा बेहतर जीवन की उम्मीद में रूस गए थे, लेकिन 13 में से तीन की जंग में मौत हो गई. जबकि दो घायल होकर घर लौट आए, बाकी आठ का अब तक कोई पता नहीं चला है. उन्हें सुरक्षा गार्ड, हेल्पर और कुक की नौकरी का वादा किया गया था और 2 लाख प्रति माह का वेतन दिया जाने का भरोसा दिलाया गया था, लेकिन रूस पहुंचने के बाद उन्हें जबरदस्ती जंग वाले इलाकों में भेज दिया गया.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आजमगढ़ के खोजापुर गांव के योगेंद्र यादव की मां, पत्नी और बच्चे गहरे सदमे में हैं. योगेंद्र के छोटे भाई आशीष यादव ने बताया,'मऊ के एजेंट विनोद यादव ने मेरे भाई को फंसा लिया. उसने कहा कि सुरक्षा गार्ड की नौकरी है लेकिन उसे रूस के बॉर्डर पर भेज दिया गया.' योगेंद्र 15 जनवरी 2024 को घर से तीन एजेंटों (विनोद, सुमित और दुष्यंत) के साथ निकले था. रूस पहुंचने के बाद उसे जबरदस्ती ट्रेनिंग देकर सेना में शामिल कर लिया गया.
आजमगढ़ का ही अजहरुद्दीन भी रूस गया था. उसकी गुलामी का पुरा इलाके अजहरुद्दीन खान की मां नसीरन ने बताया कि उनका बेटा परिवार का इकलौता कमाने वाला था. वह 26 जनवरी 2024 को एजेंट विनोद के साथ गया था. उसने 2 लाख प्रति माह की नौकरी का वादा किया था.' अजहरुद्दीन ने परिवार को बताया था कि उसे जंग वाले इलाके में भेजा जा रहा है. अप्रैल में जब पिता को यह बात पता चली तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा और 8 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. नसीरन ने आखिरी बार 27 अप्रैल को अपने बेटे से बात की थी. तब से वह लापता है.
सथियावन के निवासी हुमेश्वर प्रसाद के पिता इंदु प्रकाश ने भी ऐसी ही कहानी बताई. उन्होंने बताया,'मेरे बेटे को 15 दिन की ट्रेनिंग देकर सेना में शामिल कर लिया गया. हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया लेकिन वहां से सिर्फ यही जवाब मिला कि वह लापता है.'
कुक की नौकरी के लिए गए रौनापुर गांव के कन्हैया यादव ने की मौत 6 दिसंबर 2024 को हो गई थी. उनके बेटे अजय ने बताया कि पिता ने आखिरी बार 25 मई 2024 को बात की थी और कहा था कि वह बुरी तरह घायल है.
इसके अलावा जख्मी होकर घर लौटने वाले राकेश यादव ने कहा,'हमें सुरक्षा गार्ड की नौकरी का वादा किया गया था, लेकिन वहां पहुंचने के बाद जबरदस्ती समझौते पर साइन करवाया गया जो रूसी भाषा में था. इसके बाद हमें युद्ध के लिए ट्रेनिंग दी गई.' सभी परिवार सरकार से अपने प्रियजनों की वापसी और ऐसे एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक रूस की सेना में शामिल 126 भारतीय नागरिकों में से 96 लौट आए हैं. 12 की मौत हो चुकी है और 16 लापता हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा,'रूसी सशस्त्र बलों में सेवारत भारतीय नागरिकों के 126 मामलों में से 96 व्यक्ति पहले ही वापस आ चुके हैं. उन्हें रूसी सशस्त्र बलों से छुट्टी दे दी गई है. रूसी सशस्त्र बलों में बाकी 18 भारतीय नागरिकों में से 16 व्यक्तियों का ठिकाना फिलहाल नहीं मिल पाया है. रूस ने 16 भारतीयों को लापता की कैटेगरी में रखा है.