सब दिल्ली के सीएम पर नजरें गड़ाए थे, यूपी विधानसभा के अंदर क्या हुआ अब पता चला
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सब दिल्ली के सीएम पर नजरें गड़ाए थे, यूपी विधानसभा के अंदर क्या हुआ अब पता चला

UP Assembly Languages: उत्तर प्रदेश विधानसभा में हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया गया है. अब यूपी असेंबली के सदस्य अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोल सकेंगे. हालांकि इस दौरान उर्दू को लेकर विवाद भी देखने को मिला. 

सब दिल्ली के सीएम पर नजरें गड़ाए थे, यूपी विधानसभा के अंदर क्या हुआ अब पता चला

UP Assembly: 'ए भैया जेकरा के ना बूझात होई, तनी माइकवा लगा लिहे. आपन बटनवा दबा लिह...' उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य की ज़रिए बोली गए ये शब्द सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं. क्योंकि अब यूपी विधानसभा में क्षेत्रीय भाषाओं में चर्चा होगी. पिछले कई दिनों से लगभग पूरे देश की नजरें दिल्ली के सीएम चेहरे की तलाश में लगी हुई थीं, लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुछ ऐसा देखने को मिला जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है. विधानसभ की कई तस्वीरें और वीडियोज वायरल हो रहे हैं जो बेहद दिलचस्प हैं. एक नई पहल के तौर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा ने अपने इतिहास में पहली बार बहुभाषी चर्चा की शुरुआत की है. यूपी विधानसभा में विधायक अब अंग्रेजी, अवधी, ब्रज, बुंदेलखंडी और भोजपुरी समेत क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यवाही में भाग ले सकेंगे.

इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सदन में सभी पांच भाषाओं के लिए दुभाषिए तैनात किए जाएंगे, जिससे सदस्य समर्पित हेडफोन चैनलों के माध्यम से अपनी पसंदीदा भाषा में चर्चा सुन सकेंगे. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सोमवार को इस पहल का ऐलान करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो अपनी विधानसभा में इस तरह की सुविधा लागू करेगा. इस कदम का मकसद भाषाई विविधता को बढ़ाना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ज्यादा समावेशिता को बढ़ावा देना है.

विधानसभा के एक सदस्य ने अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलते हुए कहा,'हम सब जब हियां सदन से जाइथे तो जो घरा पहुंची थे तो 99 फीसद यही भाषा बोली, जितना दिन यहां बैठे रहे तो यही बोलत है, चाहे पत्नी से, चाहे बच्चे से, चाहे नातेदार, चाहे रिश्तेदार से, चाहे मेहरारू से .'

एक सदस्य ने कहा,'वैसे तो तुमने बहुत अच्छे काम करे, पर ई काम बहुत जोर दिया किया. या काम पे हमारे छोटे बाल गोपाल, अभी जो धीरे-धीरे बड़े हीरे ऊ अपनी स्थानीय बोली पे जुड़ जाई, अभई का है कि हम अपने घर में तो अपनी बोली बोले और जैसे ही चौखट से बाहर निकलो तो हमें बोलने पर संकोच होवे तो हमें बोलने में संकोच होवे, हम संकोच करे. 

उर्दू को लेकर हुआ विवाद

इसी दौरान उर्दू भाषा को लेकर तीखा नोकझोक भी देखने को मिली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा, क्योंकि पार्टी ने सदन की कार्यवाही का उर्दू में भी अनुवाद करने की मांग की थी. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं लेकिन चाहते हैं कि दूसरों के बच्चे उर्दू सीखें और 'मौलवी' बनें.

बजट सत्र के पहले दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि सदन की कार्यवाही अब अवधी, भोजपुरी, ब्रज, बुंदेली के साथ-साथ अंग्रेजी में भी उपलब्ध होगी. इसी को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता उर्दू में भी अनुवादन करने की मांग की थी, इसी लेकर सीएम योगी ने कहा,'यहां जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग अलग-अलग वर्गों से हैं. अगर कोई सदन में हिंदी में बोलने में असमर्थ है तो उसे भोजपुरी में, ब्रज में, अवधी में, बुंदेलखंडी में बोलने में सक्षम होना चाहिए, लेकिन वे इसके बजाय उर्दू की वकालत क्यों कर रहे हैं? यह अजीब है.'

सीएम योगी ने कहा,'इसलिए मैं कहता हूं कि समाजवादी पार्टी के नेता इतने दोहरे हो गए हैं कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजते हैं और दूसरों के बच्चों को गांवों के स्कूलों में भेजने को कहते हैं, जहां संसाधनों की भी कमी है.' आदित्यनाथ ने कहा,'वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं लेकिन जब सरकार दूसरों के बच्चों को यह मौका देना चाहती है तो वे (सपा नेता) कहते हैं उन्हें उर्दू सिखाओ, वे इन बच्चों को मौलवी बनाना चाहते हैं. वे देश को कट्टरता (कठमुल्ला-पन) की तरफ ले जाना चाहते हैं.'

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