The Estate Investment Company: ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में भी सुना ही होगा, जो भारतीयों को लूटने-खसोटने और उनका शोषण करने के लिए कुख्यात थी. लेकिन, मुंबई से सटे ठाणे जिले में मीरा-भयंदर की भूमाफिया कंपनी आज भी अंग्रेजों की तरह जमीन पर लगान वसूली कर रही है.
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The Estate Investment Company: आपने लगान फिल्म तो देखी होगी, जो ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों से वसूले जाने वाले मनचाहे लगान की सच्चाई पर आधारित थी. आपने ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में भी सुना ही होगा. जो भारतीयों को लूटने-खसोटने और उनका शोषण करने के लिए कुख्यात थी. आप सोच रहे होंगे कि हम ये सब बातें क्यों कर रहे हैं तो अब हम जो खुलासा करने वाले हैं. उसे जानने के बाद आपके पैरों तले की जमीन खिसक जाएगी, क्योंकि आज हम आजाद भारत की ईस्ट इंडिया कंपनी का पर्दाफाश करने वाले हैं, जिसने मुंबई से सटे ठाणे जिले में मीरा-भयंदर की भूमाफिया कंपनी बनकर वहां की जमीन पर ना सिर्फ अवैध कब्जा किया हुआ है, बल्कि मीरा-भयंदर के पूरे इलाके में खरीदी-बेची जाने वाली जमीन पर लगान वसूली का सिस्टम बनाया हुआ है.
इतना ही नहीं, मीरा-भयंदर के पूरे इलाके में जब भी कोई इमारत बनती है तो उससे पहले इस प्राइवेट कंपनी से NoC यानी No Objection Certificate लेना पड़ता है. NoC के बदले ये प्राइवेट कंपनी लाखों रुपये वसूलती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मीरा-भयंदर इलाके में जितनी भी जमीन है, उस पर इसी प्राइवेट कंपनी का मालिकाना हक है. ये हक उसे सरकार ने दिया हुआ है. ये आजाद भारत का सबसे बड़ा Land Fraud है. लेकिन, इस कंपनी का मालिक कौन है और लगान वसूली का पैसा किसके पास जा रहा है, ये सवाल आपके भी मन में उठ रहा होगा.
लगान वसूली पर महाराष्ट्र सरकार से Zee News के सवाल
Zee News महाराष्ट्र सरकार से कुछ सवाल पूछना चाहता है जो आपके मन में भी जरूर उठ रहे होंगे.
- तो सबसे पहला सवाल है कि अंग्रेजों के जमाने में एक तिहाई फसल पर लगने वाला लगान आजादी के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त पर टैक्स में कैसे बदल गया?
- दूसरा सवाल ये है कि The Estate Investment Company को सिर्फ लगान वसूलने का ठेका मिला था, उसे मीरा-भयंदर की पूरी जमीन पर मालिकाना हक कैसे मिल गया?
- तीसरा सवाल ये है कि अगर एक मिट्टी के बांध बनाने की एवज में अंग्रेजो ने ये लगान शुरू भी किया था तो आजादी के बाद भी इसे जारी कैसे और क्यों रखा गया?
- आजादी के बाद देश में Maharashtra Agriculture Ceiling act आया. साल 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी Urban Ceiling act लेकर आई जिसमें तमाम राजा महाराजाओं को अपनी संपत्ति घोषित करके सरकार को सुपुर्द करनी थी, जिससे बड़ी बड़ी रियासतों के राजा महाराजाओं की संपत्ति उनके हाथ से चली गई. इसके बावजूद The Estate Investment Company के पास इतनी बड़ी Land Holding कैसे छोड़ दी गई?
- सवाल तो ये भी है कि The Estate Investment Company के द्वारा अवैध तरीके से वसूला जा रहा पैसा आखिर जा कहां रहा है? क्या सरकार के पास इसका कोई हिसाब है? इस कंपनी में Direct और Indirect तरीके से कौन कौन जुड़ा है, क्या इसका कोई हिसाब है.
आजादी के बाद 75 सालों से लगान वसूल रही कंपनी
मीरा-भयंदर में प्राइवेट कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह आजादी के 75 वर्षों बाद भी लोगों से लगान वसूल कर रही है. ऐसा तो माना ही नहीं जा सकता कि सरकार को इसकी खबर ना हो और ऐसा है भी नहीं. इसके बावजूद आजादी के बाद से अबतक महाराष्ट्र में ना जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन मीरा-भयंदर में the Estate Investment Company..ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह लोगों से लगान वसूलती चली आ रही है.
दिसंबर 2023 में महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था. महाराष्ट्र कांग्रेस ने दावा किया था कि ठाणे जिले में मीरा-भयंदर के जिस इलाके पर एक प्राइवेट कंपनी लोगों से टैक्स वसूल कर रही है, वो इलाका 36 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. लेकिन, इसके बावजूद मीरा-भयंदर के लोगों से लगान वसूलने वाली the Estate Investment Company के खिलाफ कोई एक्शन तक नहीं लिया गया, क्योंकि महाराष्ट्र के सरकारी विभाग खुद the Estate Investment Company को लगान वसूलने का लाइसेंस देकर बैठे हैं.
दरअसल वर्ष 2008 में the Estate Investment Company ने मीरा-भयंदर में 2905 एकड़ जमीन पर दावा किया था. लेकिन, वर्ष 2015 में ठाणे कलेक्टर ने मीरा-भयंदर में लगभग 8995 एकड़ जमीन, the Estate Investment Company को अवैध तरीके से Transfer कर दी. यानी आज के वक्त में मीरा-भयंदर के लगभग पूरे इलाके पर the Estate Investment Company का अवैध कब्जा है.
महाराष्ट्र के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड को 7/12 (सात बारह उतारा) कहा जाता है. इसमें प्रॉपर्टी के सामने मालिक का नाम और बाकी की तमाम जानकारियां लिखी जाती है जैसे इस प्रॉपर्टी का पहला मालिक कौन था, बाद में कौन कौन कब कब इसके मालिक बने. महाराष्ट्र के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के 7/12 (सात बारह) में भी मीरा-भयंदर की 8995 एकड़ जमीन का मालिक the Estate Investment Company को बताया गया है.
इसी वजह से मीरा-भयंदर इलाके में जब भी कोई शख्स किसी भी जमीन सौदे की रजिस्ट्री करवाता है तो सबसे महाराष्ट्र का रेवेन्यू डिपार्टमेंट ये देखता है कि क्या उस जमीन के सौदे से पहले क्या जमीन के मालिक ने the Estate Investment Company से NoC ली है? और अगर NoC नहीं होती तो उस जमीन की रजिस्ट्री ही नहीं होती. इसलिए, लोगों को पहले the Estate Investment Company को लगान के तौर पर लाखों रुपये देने पड़ते हैं और उसके बाद सरकार को जमीन सौदे पर स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है.
इस कंपनी को कैसे मिला लगान वसूली का लाइसेंस?
सवाल ये है कि The Estate Investment Company को ये लगान वसूलने का लाइसेंस कब और कैसे मिला? दरअसल, अंग्रेजों ने जिस जमींदार रामचंद्र लक्ष्मणजी को लगान वसूलने का हक दिया था, उन्होंने बाद में लगान वसूलने का काम जयाबेन भद्रसेन नाम की महिला को दे दिया. इसके बाद जयाबेन भद्रसेन ने वर्ष 1943 में लगान वसूलने का काम तीन लोगों को सौंप दिया. इन तीन लोगों को नाम थे - गोविंदराम ...रामनारायण श्रीलाल और चिंरंजीलाल श्रीलाल. इन तीनों की कंपनी का नाम था - गोविंदराम ब्रदर्स.
वर्ष 1945 में गोविंदराम ब्रदर्स ने लगान वसूलने का काम एक कंपनी को दिया, जिसका नाम है - The Estate Investment Company. ज़ी न्यूज़ के पास 1945 के अग्रीमेंट की भी कॉपी है, जिसमें गोविंदराम ब्रदर्स ने The Estate Investment Company को मीरा-भयंदर के इलाके में लोगों से लगान वसूलने का ठेका देने का सौदा किया. तब से लेकर अबतक यही प्राइवेट कंपनी मीरा-भयंदर के लोगों से इस लगान की वसूली कर रही है.