Supreme Court: सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले के 40 से ज्यादा मुकदमों को पश्चिम बंगाल के बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी. इस पर अदालत ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है और इसे अदालत की अवमानना का केस बताया है. जानें पूरा मामला.
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SC pulls up CBI for allegations: पश्चिम बंगाल में साल 2021 में चुनावों के बाद हुई हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने CBI को फटकार लगाई है। दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी ने 40 से ज्यादा मुकदमों को पश्चिम बंगाल राज्य से बाहर ट्रांसफर करने के लिए अर्जी दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर सीबीआई को फटकार लगाई है। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला.
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि सीबीआई पश्चिम बंगाल में पूरी न्यायपालिका पर आरोप नहीं लगा सकती. पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू से कहा, ‘‘राजू जी, इसमें किस तरह के आधार बताए गए हैं. आप पूरी न्यायपालिका पर कैसे आरोप लगा सकते हैं?
याचिका के बचाव में क्या दी गई दलील?
आप ऐसा दिखा रहे हैं कि मानो पूरे पश्चिम बंगाल में प्रतिकूल माहौल है., ऐसा हो सकता है कि आपके अधिकारी किसी न्यायिक अधिकारी या किसी विशेष राज्य को पसंद न करें, लेकिन यह मत कहिए कि पूरी न्यायपालिका काम नहीं कर रही. न्यायाधीश, जिला न्यायाधीश और दीवानी न्यायाधीश और सत्र न्यायाधीश यहां आकर अपना बचाव नहीं कर सकते.’’ राजू ने याचिका में कही बातों का बचाव करते हुए कहा कि आरोप लगाने का कोई इरादा नहीं है, मामले को ठीक ढंग से पेश नहीं किया गया है.
फटकार के बाद याचिका वापस
शीर्ष अदालत की तीखी टिप्पणी के बाद राजू ने मामले को स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका वापस ले ली. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में सभी अदालतों पर शर्मनाक आरोप लगाए गए हैं. यह बार-बार कहा गया है कि अदालतों में प्रतिकूल माहौल है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की अदालतों पर आक्षेप लगाने का फैसला किया.’’
2023 का है मामला
पीठ ने कहा, ‘‘एएसजी का कहना है कि आक्षेप लगाने का कोई इरादा नहीं था लेकिन याचिका में दिए गए कथन इसके विपरीत हैं. वह याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं.’’
क्या थी याचिका
पिछले साल दिसंबर में ट्रांसफर याचिका दायर की गई थी. जिसमें गवाहों को डराने-धमकाने और न्याय प्रक्रिया को लेकर कथित चिंताओं के कारण पश्चिम बंगाल से बाहर मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में याचिका पर नोटिस जारी किया था. इनपुट भाषा से