Ram Lalla Virajman laywer C S Vaidyanathan: सीनियर एडवोकेट वैद्यनाथन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में रामलला विराजमान की ओर से कोर्ट में बहस की थी.
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76th Republic Day: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर (Former CJI Jagdish Singh Khehar) और सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन (Advocate C S Vaidyanathan) को 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के बड़े अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है. बात पद्म पुरस्कार से सम्मानित विजेताओं की सूची और उनकी उपलब्धियों की तो भारत की 138 और सऊदी अरब की एक योगा टीचर को मिलाकर कुल 139 गणमान्य और दिग्गज हस्तियों को इस अवार्ड से नवाजा गया है. सर्कुलर जारी होते ही पूर्व सीजेआई खेहर पद्म विभूषण घोषित हो गए. इसी तरह से एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन अब पद्म श्री सीएस वैद्यनाथन हो गए हैं.
रामलला विराजमान के वकील थे वैद्यनाथन
वैद्यनाथन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में रामलला विराजमान की ओर से न्यायालय में बहस की थी. पूर्व सीजेआई जस्टिस खेहर ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने वाली कांस्टीट्यूशनल बेंच संविधान पीठ का नेतृत्व किया था. वह सिख समुदाय से आने वाले पहले प्रधान न्यायाधीश थे. उन्होंने 13 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदभार ग्रहण किया था.
जस्टिस खेहर के बड़े फैसले
जस्टिस खेहर ने उस बेंच का नेतृत्व किया था जिसने जनवरी 2016 में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले को रद्द कर दिया था. वह उस बेंच का भी हिस्सा थे जिसने निवेशकों को धन वापसी से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए 'सहारा' प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल भेजा था. जस्टिस खेहर ने अल्पमत वाले अपने फैसले में 'तीन तलाक' को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा, जबकि मुस्लिम पुरुषों द्वारा तीन बार 'तलाक' कहकर अपनी पत्नियों को तलाक देने की प्रथा को धार्मिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग माना. जस्टिस खेहर के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि ‘निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 और संविधान के संपूर्ण भाग 3 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अंतर्निहित हिस्सा है.’ (भाषा)