Marwari Wedding: राजस्थान के मारवाड़ी अपने रीति-रिवाजों को लेकर काफी मशहूर हैं. मारवाड़ी शादियों में कई सारी अनोखी रस्में निभाई जाती हैं, जो कई दिनों तक चलती हैं. शादी से पहले और बाद में कई सारी रीति-रिवाज निभाएं जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको इनके बारे में बताने जा रहे हैं.
मारवाड़ी शादी में एक दिन पहले शाम के वक्त जनेव समारोह होता है. इसे आम भाषा में जनेऊ कार्यक्रम कहा जाता है. इसमें पुजारी हवन करने के बाद दूल्हे को एक पवित्र धागा देते हैं. इस दौरान दूल्हा भगवा रंग के कपड़े पहनता है. इस रस्म का मतलब यह हैं कि दूल्हा अपनी जिम्मेदारियों को समझता है और वह ब्रह्माचर्य जीवन से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के लिए तैयार है.
मारवाड़ी शादी में महफिल की रस्म शादी के एक दिन पहले शाम को हेती है, जिसे एक उत्सव की तरह मनाया जाता है. इसमें पुरुष और महिलाएं सभी खूब मस्ती करते हैं, गीत गाते हैं और डांस करते हैं.
मारवाड़ी शादी में सगाई और गणपति स्थापना के बाद पीठी दस्तूर की रस्म निभाई जाती है. इसे आप हल्दी की रस्म कह सकते हैं. इसमें दूल्हा-दुल्हन दोनों शामिल होते हैं. इस समारोह में दूल्हा और दुल्हन को पीढ़े यानी किसी लकड़ी की पीठ पर बैठाकर हल्दी और चंदन से बना पेस्ट लगाना होता है. इस रस्म के बाद दूल्हा और दुल्हन घर से बाहर नहीं जा सकते हैं.
विवाह की तिथि तय होने के बाद शादी से कुछ दिन पहले घर पर गणपति स्थापना की जाती है. इसके बाद ही शादी के सभी काम शुरू किए जाते हैं. कहते हैं कि गणपति स्थापना के बाद शादी में बाधा की आशंकाएं दूर हो जाती हैं.
ऐसे तो सगाई की रस्स धर्म और जाति में निभाई जाती है लेकिन मारवाड़ियों में ये रस्म काफी अनोखे तरीके से निभाई जाती है. सगाई की रस्म दूल्हे के घर पर की जाती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन दोनों पक्ष के लोग शामिल होते हैं. इसमें दुल्हन का भाई दूल्हे के माथे पर तिलक करता है और उसे तलवार, कपड़े और मिठाई आदि देता है.
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