Jaipur News: राजस्थान की राजधानी स्थित जयपुर एयरपोर्ट डायवर्टेड फ्लाइट्स की हैंडलिंग में पिछले कुछ वर्षों में उत्तर भारत का सबसे भरोसेमंद एयरपोर्ट साबित हो रहा है. इस वर्ष भी इस तरह के डायवर्जन को झेलने के लिए जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं.
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Rajasthan News: जयपुर में भले ही सर्दी ने रंग नहीं दिखाया हो, लेकिन देश के कई एयरपोर्ट्स पर अलसुबह धुंध का पहरा रहने लगा है. इससे हवाई सेवाओं का संचालन बाधित होने लगा है. बड़ी बात यह है कि डायवर्टेड फ्लाइट्स की हैंडलिंग में पिछले कुछ वर्षों में जयपुर एयरपोर्ट उत्तर भारत का सबसे भरोसेमंद एयरपोर्ट साबित हो रहा है.
13 नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर धुंध के चलते विमानों की लैंडिंग बाधित हुई, तो जयपुर ही एकमात्र विकल्प दिखा. महज एक घंटे में 9 फ्लाइट्स दिल्ली से डायवर्ट होकर जयपुर पहुंची. 14 नवंबर को गाजियाबाद और जम्मू जाने वाली दो फ्लाइट्स डायवर्ट होकर जयपुर पहुंची. वहीं, शुक्रवार तड़के सुबह लखनऊ और चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कोहरे का पहरा रहा. लिहाजा लखनऊ से 3 और चंडीगढ़ से 2 फ्लाइट्स डायवर्ट होकर जयपुर पहुंची. इस तरह पिछले 3 दिन में 16 फ्लाइट्स डायवर्ट होकर जयपुर पहुंच चुकी हैं. बड़ी बात यह है कि जयपुर एयरपोर्ट अपने सभी नजदीकी एयरपोर्ट्स के डायवर्जन को झेलने में सक्षम है.
दरअसल, सर्दियों के दौरान उत्तर भारत के ज्यादातर एयरपोर्ट्स पर कोहरे का असर रहता है. चंडीगढ़, दिल्ली, लखनऊ एयरपोर्ट्स पर अभी से कोहरे का असर दिखने लगा है. इनके अलावा जम्मू, अमृतसर, देहरादून, आगरा, वाराणसी आदि सभी एयरपोर्ट्स पर कोहरा देखा जाता है. इस दौरान केवल जयपुर एयरपोर्ट ही एकमात्र एयरपोर्ट है, जहां कोहरे का असर काफी कम रहता है. वहीं, कोहरा होने पर जयपुर एयरपोर्ट पर अत्यधिक कम दृश्यता में भी विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ कराया जाना संभव है.
डायवर्जन झेलने के लिए क्या सुविधाएं ?
जयपुर एयरपोर्ट पर हाल ही रनवे क्षमता सुधार के कार्य किए गए. 11177 फीट लम्बाई का रनवे कैट थ्री बी लाइटिंग सिस्टम से लैस है. मात्र 50 मीटर रनवे दृश्यता में विमानों की लैंडिंग संभव है. कम दृश्यता में विमानों के लिए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम लगा हुआ है. देश का पहला एयरपोर्ट जयपुर है, जहां AWOS लगाया गया है. ऑटोमेटिक वैदर ऑब्जर्विंग सिस्टम देश में पहली बार जयपुर में लगा. इस सिस्टम से अत्यधिक एक्युरेसी का रियल टाइम वैदर डाटा मिलता है. AWOS लगने के साथ जयपुर में रनवे दृश्यता मापने के 2 उपकरण हुए. जयपुर एयरपोर्ट पर 36 विमानों के पार्किंग वे बने हुए है. इनमें से 27 पार्किंग वे कैट थ्री बी उपकरणों से सुसज्जित है. वहीं, 13 टैक्सी वे पर भी कैट थ्री बी उपकरण लगे हुए है.
जयपुर एयरपोर्ट पर मौजूद अत्याधुनिक उपकरणों और सुविधाओं का ही नतीजा है कि जयपुर एयरपोर्ट पिछले साल 347 फ्लाइट्स का डायवर्जन झेलने में सक्षम रहा था. वर्ष 2023 में दिल्ली, लखनऊ, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जम्मू सहित विभिन्न एयरपोर्ट की कुल 347 फ्लाइट डायवर्ट होकर जयपुर पहुंची. इस वर्ष भी इस तरह के डायवर्जन को झेलने के लिए जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं.
विमानों की पार्किंग के लिए क्या इंतजाम ?
जयपुर एयरपोर्ट पर पूर्व में 17 विमानों की पार्किंग क्षमता थे. इसमें कैटेगरी C और E तक के विमान खड़े हो सकते हैं. कैटेगरी C यानी एयरबस 320 या बोइंग 737 विमान, जिनमें 165 से लेकर 220 तक यात्री सफर कर सकते हैं. जयपुर एयरपोर्ट पर 19 नए पार्किंग वे साल भर पहले शुरू हुए. इन पर एयरबस 320 या बोइंग 737 विमानों की पार्किंग क्षमता बढ़ी. अब जयपुर एयरपोर्ट पर कुल 36 विमानों की पार्किंग क्षमता है.
रिपोर्टर- काशीराम चौधरी
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