Mahakumbh: महाकुंभ में वायरल हुई नीली आंखों वाली मोनालिसा ने बताया क्या है रुद्राक्ष की असली पहचान? यहां जानें
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Mahakumbh: महाकुंभ में वायरल हुई नीली आंखों वाली मोनालिसा ने बताया क्या है रुद्राक्ष की असली पहचान? यहां जानें

Mahakumbh: महाकुंभ मेले में मध्य प्रदेश से आई एक युवती मोनालिसा सोशल मीडिया पर स्टार बन गई है. उसकी कत्थई आंखें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. हाल ही में, मोनालिसा ने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है जिसमें उन्होंने बताया है कि रुद्राक्ष की पहचान कैसे की जा सकती है, यानी वह असली है या नकली. यह जानकारी लोगों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है.
 

Mahakumbh Viral Girl Monalisa
Mahakumbh Viral Girl Monalisa: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में मध्य प्रदेश से आई एक युवती मोनालिसा सोशल मीडिया पर स्टार बन गई है. वह अपनी कत्थई आंखों की वजह से आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. हाल ही में, मोनालिसा ने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है जिसमें उन्होंने बताया है कि रुद्राक्ष की पहचान कैसे की जा सकती है, यानी वह असली है या नकली.
 
सोशल मीडिया पर मोनालिसा का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक यूट्यूबर के सवाल का जवाब देती हैं. मोनालिसा बताती हैं कि असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए एक आसान तरीका है. वह कहती हैं कि अगर रुद्राक्ष को पानी में डुबोया जाए, तो असली रुद्राक्ष डूब जाएगा, जबकि प्लास्टिक का बना नकली रुद्राक्ष तैरेगा. इसके अलावा, मोनालिसा यह भी बताती हैं कि पंचमुखी रुद्राक्ष दो सिक्कों के बीच में घूमता है.
 
रुद्राक्ष की असलियत की जांच करने के लिए दो तरीके आम तौर पर अपनाए जाते हैं. पहला तरीका यह है कि रुद्राक्ष को पानी में डुबोया जाए, जिससे यह पता चल सके कि वह असली है या नकली. दूसरा तरीका यह है कि रुद्राक्ष को तांबे के सिक्कों के बीच में रखा जाए, जिससे यह देखा जा सके कि वह घूमता है या नहीं. लेकिन अफसोस की बात यह है कि ज्यादातर साधु और दुकानदार इन्हीं दो तरीकों का सहारा लेकर नकली रुद्राक्ष बेचकर लोगों को ठगते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं.
 
मोनालिसा महाकुंभ नगर में अपने 50 सदस्यीय समूह के साथ आई हैं. वह अपने परिवार के साथ मिलकर स्फटिक, रुद्राक्ष और नगीनों से बनी कंठी मालाएं बेचती हैं. हालांकि, मोनालिसा से मिलने के लिए आने वाली भीड़ की वजह से वह अपनी मालाएं बेचने में असमर्थ हैं. इतनी भीड़ के कारण, मोनालिसा को बार-बार संतों के शिविर में जाना पड़ता है, जिससे वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही हैं.
 

 
 

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