धौलपुर: हाड़ कंपाती सर्दी में रात में फसलों को पानी देने को किसान मजबूर
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धौलपुर: हाड़ कंपाती सर्दी में रात में फसलों को पानी देने को किसान मजबूर

राजस्थान के धौलपुर में किसान 12 बजे से सुबह 6 बजे तक खेतों में पानी देने को मजबूर है. इससे गुस्साए किसानों ने सरानीखेड़ा विद्युत फीडर पर सरकार और जिला प्रशासन एवं विद्युत निगम अधिकारियों के खिलाफ विरोध करते हुए आक्रोश व्यक्त किया.

धौलपुर: हाड़ कंपाती सर्दी में रात में फसलों को पानी देने को किसान मजबूर

Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर के सरानीखेड़ा में विगत दिनों से लगातार तापमान गिरने से धौलपुर जिले में खेतों, फसलों एवं हर जगह बर्फ की चादर जमा हो रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा दुर्दशा किसानों की हो रही है. रात को 12 बजे से सुबह 6 बजे तक ही बिजली आने के कारण रात में ही खेतों में पानी देना किसानों की मजबूरी है. 

धौलपुर शहर के नजदीक स्थित सरानी खेड़ा विद्युत फीडर से जुड़े करीब एक दर्जन गांव के लोग और किसान पीड़ा से गुजर रहे हैं, जहां कई दिनों से लगातार तापमान गिरने से फसलों पर बर्फ जमा हो गई है. किसानों का कहना है कि खेतों में पानी देने से तापमान बढ़ जाता है. 

2 घंटे दी जा रही बिजली 
इससे खेतों में बर्फ जमा नहीं होती हैं. फसल पर पारा जमा नहीं होता है और फसल बर्बाद होने से बच जाती है, लेकिन रात को बिजली देने से फसल की सिचाई करने में दिक्कत आ रही है. सरकार ने किसानों को 6 घंटे विद्युत सप्लाई देने के आदेश दिए हैं, लेकिन उसके बावजूद भी विद्युत निगम के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और किसानों को केवल 2 घंटे बिजली दी जा रही है. 

अधिकारियों के खिलाफ विरोध 
इससे गुस्साए किसानों ने सरानीखेड़ा विद्युत फीडर पर सरकार और जिला प्रशासन एवं विद्युत निगम अधिकारियों के खिलाफ विरोध करते हुए आक्रोश व्यक्त किया. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे जेईएन आकाश शिवहरे, जेईएन सुरेंद्र चौहान को किसानों ने खूब सुनाई, जिस पर एएसआई जानकी नंदन मीणा मय पुलिस जाब्ता के मौके पर पहुंचे, जिन्होंने किसानों से समझाइश कर विद्युत फीडर को पुनः चालू करवाया. 

किसानों की मांग 
किसानों की मांग है कि हमें पहले की तरह दोपहर के समय विद्युत सप्लाई दी जाए, जिससे हम भी प्रशासन और सरकारी कर्मचारियों की तरह रात में चैन की नींद सो सकें. 
किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री साहब हमारा भी परिवार है, हमारे भी बच्चे हैं, हमें भी ठंड लगती है. हमारी मांग है कि हमें दोपहर में और पूरे समय बिजली दी जाए, जिससे खेतों में पानी देकर पारे से बचाया जा सके. कई किसानों की फसल पारा पढ़ने से बर्बाद हो चुकी है. 

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