महिलाएं मां भवानी को खुश करने के लिए एक ओर जहां गरबा नृत्य करती हैं, तो वहीं तीन तालियां बजाकर ब्रह्मा विष्णु और महेश को भी रिझाती हैं.
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Bandikui: नवरात्र में दुर्गा पूजा के साथ-साथ गरबा का भी विशेष महत्व माना जाता है. महिलाएं मां भवानी को खुश करने के लिए एक ओर जहां गरबा नृत्य करती हैं, तो वहीं तीन तालियां बजाकर ब्रह्मा विष्णु और महेश को भी रिझाती हैं. साथ ही डांडिया और मंजीरे की धुन एक खुशनुमा माहौल बनाती है. हालांकि गरबा गुजरात का पारंपरिक नृत्य रहा है, लेकिन अब इसका चलन राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में भी बढ़ने लगा है. यहां तक कि विदेशों में भी गरबा की धूम मचने लगी है.
दौसा जिले में नवरात्र में जगह जगह गरबा नृत्य का आयोजन किया जा रहा है, जहां महिलाएं और बच्चे जमकर नृत्य कर रहे हैं और एक दूसरे के साथ डांडिया खेल रहे हैं. डांडिया का सामाजिक स्तर पर चलन बढ़ रहा है. सभी समाज अपने-अपने स्तर पर डांडिया के आयोजन कर रहे हैं, जिनमें सामूहिक रूप से समाज की महिला शामिल हो रही है.
दौसा के बांदीकुई में पार्षद महेंद्र देमन के नेतृत्व में सामूहिक गरबा नृत्य का आयोजन किया गया, जहां सैकड़ों महिलाओं युवतियों और बच्चों ने सामूहिक रूप से एक साथ नृत्य किया कभी छतरी नृत्य तो कभी डांडिया के साथ जमकर थिरके. इस दौरान सबसे अच्छी परफॉर्मेंस देने वाले ग्रुप को सम्मानित भी किया गया.
शारदीय नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व माना जाता है और मान्यता है 9 दिन तक पूरे विधि विधान से जो भी मां शक्ति की पूजा अर्चना करता है. उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. यही वजह है कि नवरात्र के दौरान गरबा नृत्य के माध्यम से महिलाएं और युवतियां मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए डांडिया खेलती हैं. धर्म विशेषज्ञों और ज्योतिष आचार्य की माने तो नवरात्र के 9 दिनों में दुर्गा पूजा कर जो शक्ति अर्जित की जाती है. वह पूरे साल भर जीवित रहता है.
Reporter: Laxmi Sharma
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