Rajasthan News: गुलामी का एक और प्रतीक हुआ कम, अजमेर की प्राचीन फॉयसागर झील का नाम बदला
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Rajasthan News: गुलामी का एक और प्रतीक हुआ कम, अजमेर की प्राचीन फॉयसागर झील का नाम बदला

Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देश में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर किए गए आह्वान जिसमें की गुलामी के प्रति को हटाकर राष्ट्र स्वाभिमान की भावना को जगाने की जो अपील की गई थी उसका असर अब अजमेर में तेजी से देखने को मिल रहा है. पिछले 48 घंटे में ही अजमेर के दो पुराने स्थलों के नाम बदल दिए गए हैं जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान रखे गए थे.

Foy sagar lake

Rajasthan News: 133 साल पुरानी अजमेर की प्राचीन फॉयसागर झील अब आज के बाद एक नए नाम से जानी जाएगी. अब इस झील का नाम वरुण सागर रखा गया है. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इसको लेकर पिछले दिनों प्रयास शुरू किए थे, जिसके बाद नगर निगम की ओर से आदेश जारी किए गए हैं. इसके साथ ही 113 साल पुराने किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम भी बदलकर माहेश्वरी दयानंद सरस्वती विश्रांति रखा गया है. 

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का कहना है कि भारत आजादी के 76 साल बाद भी इन गुलामी के प्रति को अपने ऊपर झेल रहा था, जिसके चलते युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय संस्कृति सभ्यता अध्यात्म और ऐतिहासिक महत्व की जानकारियां नहीं मिल पा रही थी. युवा पीढ़ी अब अपनी सनातनी संस्कृति के जरिए विश्व गुरु बनने की राह पर आगे बढ़ेगा और भारत आत्मनिर्भर होने के साथ आत्म स्वाभिमानी भी बनेगा. इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर राजस्थान पर्यटन विकास निगम की ओर से संचालित होटल खादिम का भी नाम बदलकर होटल अजय मेरु रख दिया गया है कि यह प्रक्रिया लगातार जारी है और अजमेर से गुलामी के सभी प्रतीक को अब बदलकर उन्हें भारतीयता के रूप में नई पीढ़ी के सामने लाया जाएगा. प्रस्ताव यह भी है कि अजमेर के एलिवेटेड रोड का नाम भी रामसेतु रखा जाए.

इन प्राचीन स्थलों के नाम बदले जाने पर शहर के लोगों ने भी इसका स्वागत किया है कि राजा महाराजाओं को गए सालों बीत गए. देश में अब राजशाही नहीं है, तो वहीं अंग्रेजी हुकूमत से भी संघर्ष करते हुए आजादी मिली है, तो ऐसे में उनके नाम का प्रयोग ऐतिहासिक स्थलों पर नहीं होना चाहिए.

देश में इससे पहले भी कई जगहों के नाम बदले गए हैं, जिसको लेकर विपक्ष लगातार भाजपा पर आक्रामक होता रहा है. पिछले 1 साल के दौरान तीन स्थलों के नाम बदले जाने और इससे पहले भाजपा की सरकार में अजमेर के अकबरी किले को अजमेर संग्रहालय का नाम दिए जाने पर भी आने वाले दिनों में विपक्ष आक्रामक हो सकता है, लेकिन इस सबके बीच में अपनी जड़ों से जुड़ाव रखने का यह प्रयास शहर के लोगों के बीच में चर्चा का विषय जरूर बन गया है.

रिपोर्टर- अभिजीत दवे

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