Delhi Stampede: 'जब ट्रेन में सीट नहीं तो क्यों बेच रहे टिकट?', रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मामले में HC की फटकार, सरकार से मांगा जवाब
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Delhi Stampede: 'जब ट्रेन में सीट नहीं तो क्यों बेच रहे टिकट?', रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मामले में HC की फटकार, सरकार से मांगा जवाब

Delhi Railway Station Stampede:  नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और रेलवे को लताड़ा है. कोर्ट ने तय लिमिट से अधिक टिकट बेचे जाने पर गुस्सा जाहिर किया है. 

Delhi Stampede: 'जब ट्रेन में सीट नहीं तो क्यों बेच रहे टिकट?', रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मामले में HC की फटकार, सरकार से मांगा जवाब

Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बीते दिनों हुई भगदड़ को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और रेलवे को कड़ी फटकार सुनाई है. इस हादसे में कुल 18 लोगों की मौत हुई थी. मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश  डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने क्षमता से अधिक टिकट बेचने पर केंद्र और रेलवे से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश  डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने SG तुषार मेहता से कहा,' अगर आपने डिब्बे में बैठने के लिए यात्री संख्या तय कर दी है, तो फिर टिकट उस संख्या से अधिक क्यों बेची जाती है? यही समस्या है.'  

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रेलवे को लगाई फटकार 
बता दें कि कोर्ट की ओर से दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर दायर की गई जनहित याचिका ( PIL) पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने इस मामले को लेकर इंडियन रेलवे से यह सुनश्चित करने के लिए कहा है कि वह इस मुद्दे पर क्या कदम उठा रही है.' कोर्ट ने कहा,' अगर आप एक साधारण सी बात को सही तरीके से लागू करते तो इससे भगदड़ की स्थिति से बचा जा सकता था.' कोर्ट ने सवाल किया कि बेचे गए टिकटों की संख्या बर्थ की संख्या से ज्यादा क्यों थी? 

18 लोगों की हुई थी मौत 
मुद्दे को लेकर रेलवे की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के आदेशों को स्वीकार किया और कहा कि रेलवे बोर्ड इस स्थिति के सारे पहलुओं पर विचार करेगा. कोर्ट ने 26 मार्च 2025 को अगली सुनवाई तय की है. बता दें कि दिल्ली रेलवे स्टेशन में पिछले हफ्ते हुई भगदड़ में कुल 18 लोगों की मौत हुई थी. इसमें 11 महिलाएं और 5 बच्चे शामिल थे. वैसे तो भगदड़ के कई कारण थे, लेकिन स्टेशन के अधिकारियों की ओर से भारी भीड़ के बावजूद टिकट को बेचते रहना सबसे बड़ी लापरवाही थी.  

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रेलवे से मांगा जवाब 
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा,' बताइए आप कोच में यात्रियों की संख्या कोसीमित करने वाले मौजूदा कानूनों को लागू करने के लिए कौनसे कदम उठाएंगे? वहं बिना अधिकार प्रवेश करने वालों को कैसे दंडित करेंगे?' कोर्ट ने कहा कि रेलवे अधिनियम की संबंधित धाराओं के मुताबिक हर रेलवे प्रशासन को एक निश्चिचत संख्या में ही यात्रियों को तय करने का वैधानिक अधिकार है. ये संख्या कोच के बाहर स्पष्ट तरीके से प्रदर्शित होनी चाहिए. 

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