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वाह ये तो कमाल है! इस गांव में गैरहाजिर बच्चों को बुलाने के लिए बजता है ढोल, टीचर के इस अंदाज ने मचा दी धूम

Narmadapuram News: सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की लापरवाही या अनुपस्थिति के किस्से तो हम आए दिन सुनते रहते हैं. लेकिन आज हम आपको एक सरकारी स्कूल के शिक्षक की ऐसी पहल के बारे में बताएंगे जिसकी आप जरूर सराहना करेंगे. दरअसल नर्मदापुरम के सिवनी मालवा तहसील के लही गांव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई के लिए नहीं आते थे. लेकिन वहां पढ़ाने वाले शिक्षक अनोखे तरीके से बच्चों के घर जाकर उन्हें स्कूल लाते हैं जिसके चलते अब बच्चे स्कूल जाने लगे हैं. 

 

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नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा के लही गांव के एक प्राथमिक स्कूल में लगातार बच्चे अनुपस्थित रहते थे और कोई भी बच्चा स्कूल नहीं आता था. इस समस्या को देखते हुए वहां के शिक्षक संजू बारंगे ने बच्चों को स्कूल लाने के लिए एक अनोखा काम किया.

 

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शिक्षक ने गांव में ढोल बजाते हुए बच्चों के घर जाना शुरू कर दिया. अगर कोई बच्चा अनुपस्थित रहता तो शिक्षक संजू उसके घर के सामने ढोल बजाते और उसे अपने साथ स्कूल ले आते. यह कार्य देखकर गांव के लोग भी खुश हो गए और शिक्षक संजू का उत्साहवर्धन करने लगे.

 

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शिक्षक संजू ने हर अनुपस्थित बच्चे के घर जाना शुरू कर दिया और सभी बच्चों को अपने साथ स्कूल लाने लगे. अब लही गांव में जिस भी घर के सामने शिक्षक ढोल बजाता हुआ दिखाई देता है, गांव के दूसरे लोग समझ जाते हैं कि उस घर का बच्चा स्कूल नहीं गया.

 

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इस पहल से जो बच्चे स्कूल नहीं आते थे वे सभी स्कूल आने लगे हैं. अभी भी बच्चे अनुपस्थित रहते हैं तो शिक्षक ढोल-नगाड़े लेकर उनके घर पहुंच जाते हैं. शिक्षक संजू बारंगे बताते हैं कि जब मुझे लही प्राथमिक शाला का प्रभार दिया गया था तब स्कूल बंद होने की कगार पर था. स्कूल में मात्र 6 बच्चे थे.  मैंने गांव में जाकर ग्रामीणों से बात की और उनसे अपने बच्चों को स्कूल भेजने का अनुरोध किया.

 

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शिक्षक ने बताया कि अब स्कूल में 25 बच्चे हैं और 5 और आने वाले हैं. शुरू में जब बच्चे स्कूल नहीं आते थे तो हम उनके घर जाकर ढोल बजाते थे और उन्हें वापस लाते थे. आज भी जिस दिन बच्चों की उपस्थिति कम होती है हम ढोल लेकर उनके घर के सामने बजाते हैं.

 

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शिक्षक संजू बारंगे इस पहल के कारण गांव में मशहूर हैं. खास बात यह है कि अब जब वे अनुपस्थित छात्रों को लेने उनके घर जाते हैं तो उनके साथ ढोल-नगाड़े और स्कूल के कई बच्चे भी होते हैं.

 

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इस नवाचार के कारण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति शत-प्रतिशत हो गई है और पढ़ाई के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है. अगर सभी सरकारी स्कूलों में संजू बारंगे जैसा एक भी शिक्षक हो तो सरकारी स्कूलों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. वहीं शिक्षक की इस पहल के चलते शिक्षा विभाग के अधिकारी ने कहा कि वे शिक्षक को सम्मानित करेंगे. रिपोर्ट- अभिषेक गौर