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MP Tourism: मोक्षदायिनी मां नर्मदा का उद्गम है अमरकंटक, मंत्र मुग्ध कर देने वाली प्राकृतिक वादियों से है भरपूर

Narmada Jayanti 2024: अमरकंटक मां नर्मदा का उद्गम स्थल है. अमरकंटक में प्राकृतिक घाटियों से होकर गुजरती घुमावदार सड़कें पर्यटकों का दिल जीत लेती हैं. इसलिए आज हम आपको अमरकंटक की खूबसूरत वादियों के बारे में बताने जा रहे हैं.

 

 

 

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भारत की प्रमुख नदियों में से नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है. अमरकंटक भारत के पवित्र स्थलों में गिना जाता है. यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है. अमरकंटक समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचाई पर है. यहीं से नर्मदा नदी पश्चिम की ओर, जबकि सोन नदी पूर्व की ओर बहती है.

 

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यहां के खूबसूरत झरने, तालाब, ऊंची पहाड़ियां और शांतिपूर्ण माहौल लोगों को काफी पसंद आता है. अमरकंटक एक प्रसिद्ध तीर्थ एवं सुरम्य पर्यटन स्थल है. दिल्ली से अमरकंटक की दूरी लगभग 989 किलोमीटर है.

 

जीवनदायिनी नदी के रूप में बहती है नर्मदा

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जीवनदायिनी नदी के रूप में बहती है नर्मदा

कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा यहां जीवनदायिनी नदी के रूप में बहती है. माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे.

 

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अमरकंटक में नर्मदा कुंड के आसपास कई मंदिर बने हुए हैं. इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर और वंगेश्वर महादेव जैसे मंदिर शामिल हैं.

 

 

दूधधारा और कपिलधारा झरना

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दूधधारा और कपिलधारा झरना

अमरकंटक का दूधधारा झरना भी काफी लोकप्रिय है. ऊंचाई से गिरते समय इस झरने का जल दूध की तरह दिखता है. इसलिए इसे दूधधारा कहा जाता है. वहीं 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला कपिलधारा झरना भी बहुत सुंदर दिखता है.

 

मां की बगिया

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मां की बगिया

माई की बगिया अमरकंटक के खास आकर्षणों में से एक है. कहा जाता है कि माई की बगिया में देवी नर्मदा खेला करती थीं. यह बगिया नर्मदाकुंड से एक किमी दूरी पर है. इन जगहों के अलावा आप सर्वोदय जैन मंदिर, जवालेश्वर महादेव मंदिर, सनसेट पॉइंट जैसी कई जगहें देख सकते हैं. 

 

 

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मान्यता है कि भगवान शंकर ने ही मां नर्मदा को धरती पर भेजकर उन्हें वरदान दिया था कि जो तुम्हारे दर्शन करेगा उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे, इसलिए आज भी नर्मदा नदी के तटों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.