MP में है बिहारी जी का रहस्यमयी मंदिर, जहां मंदिर से निकलकर भगवान सुनते हैं लोगों की समस्याएं
mysterious temple of bihari ji-मध्यप्रदेश के कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी अपनी मान्यताएं और कहानियां हैं. इन मंदिरों में कई मंदिर ऐसे हैं, जो रहस्यों से भरे हुए हैं. ऐसा ही मंदिर छतरपुर जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर कर्री गांव में मौजूद है. जिसे बिहारी जू नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ विराजमान हैं.
इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी प्रसिद्ध है कि भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी मंदिर से निकलकर लोगों की समस्या सुनने जाते हैं. बिहारी जू मंदिर में ये सिलसिला आज से नहीं बल्कि सैंकड़ों सालों से चला आ रहा है,श्यामरी पुरवा और महाराज गंज गांवों के लोग साल में एक बार ढोल नगाड़ों के साथ बिहारी जू मंदिर जाते हैं और भगवान को पालकी में बैठाकर अपने गांव लाते हैं.
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भगवान जिस रास्ते से जाते हैं, उन रास्तों पर ग्रामीण ढोल-नगाड़े और शंख बजाते जाते हैं. गांव पहुंच कर श्री कृष्ण और राधा रानी को एक बड़े से चबूतरे में रख दिया जाता है, जहां से वह ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं. सुबह होते ही उन्हें वापस मंदिर छोड़ दिया जाता है.
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ग्रामीण कहते हैं कि सैकड़ों साल पहले श्यामरी पुरवा और महाराज गंज गांवों के लोग बहुत परेशान रहते थे. इसी के चलते पूर्वजों ने मंदिर के पुजारी के साथ मिलकर यह निर्णय लिया कि क्यों ने भगवान को खुद गांव में लाया जाए और वह स्वयं सभी की समस्याएं देखें और सुने. तभी से यह प्रथा लगातार चली आ रही है.
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श्यामरी पुरवा के रहने वाले एक ग्रामीण बताते हैं कि तीन पीढ़ियों से शुरू हुई प्रथा आज भी चली आ रही है. हम लोग भगवान को ढोल नगाड़े बजाकर पालकी में बैठाते हुए मंदिर से गांव लाते हैं और चबूतरे में बैठाकर भगवान को अपनी समस्याएं सुनाते है.
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साथ ही इस बात की विनती करते हैं कि साल भर गांव में रहने वाले परिवार के लोगों को कोई समस्या न हो और सभी खुश रहे और ये सिलसिला हर साल जारी रहता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि वह तीसरी पीढ़ी के पुजारी हैं.
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इस मंदिर में इससे पहले उनके पिताजी और दादा जी पुजारी हुआ करते थे. पुजारी का कहना है कि हर साल में दो गांवों के लोगों की समस्या सुनने एवं निवारण के लिए भगवान श्री कृष्ण राधा रानी जी के साथ खुद जाते हैं.
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वहीं इस मंदिर मे आस्था रखने वाले बताते है कि इस मंदिर जिस श्रद्धालु की मन्नत पूरी हुई उसने इस मंदिर का जीणोद्धार कराने मे मदद की ,पहले यह मंदिर छोटा था अब यह मंदिर विराट परिषर में बन चुका है.
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