Kuno Cheetah Shifting: अब MP के इस अभयारण्य में शिफ्ट होंगे चीते! वैज्ञानिकों और केंद्रीय एजेंसी की सहमति
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Kuno Cheetah Shifting: अब MP के इस अभयारण्य में शिफ्ट होंगे चीते! वैज्ञानिकों और केंद्रीय एजेंसी की सहमति

Kuno Cheetah Shifting Plan: कूनों में चीतों की हो रही मौत के बाद दूसरा विकल्प तलाश रही एजेंसी और सरकार को फ्यूचर प्लान के लिए सागर का नौरादेही वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी उपयुक्त लगा है.

Kuno Cheetah Shifting: अब MP के इस अभयारण्य में शिफ्ट होंगे चीते! वैज्ञानिकों और केंद्रीय एजेंसी की सहमति

Kuno Cheetah Shifting Plan: आकाश द्विवेदी/भोपाल। सागर जिले में स्थित नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययन के चीतों के लिए उपयुक्त क्षेत्र माना गया है. इससे अब माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी की सहमति के बाद नौरादेही में चीतों के शिफ्ट किया जा सकता है. जानकारी है कि केंद्रीय एजेंसी की सहमति को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मध्य प्रदेश के PWD मंत्री गोपाल भार्गव को पत्र लिखा है.

अध्ययन में पास हुआ नौरादेही अभयारण्य 
यानी अब लगभग चीतों की शिफ्टिंग का फ्यूचर प्लान तैयार हो गया है. सागर के नौरादेही वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी चीतों के लिए उपयुक्त माना गया है. अब चीता एक्शन प्लान के तहत चीतों को भविष्य में नौरादेही अभयारण्य में शिफ्ट किया जा सकता है.

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केंद्रीय मंत्री ने दी पत्र से सूचना
23 जून को PWD मंत्री गोपाल भार्गव ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर नौरादेही अभयारण्य को चीता पुनर्स्थापना के लिये चयनित किये जाने का अनुरोध किया था.

गोपाल भार्गव ने लिखा था पत्र
PWD मंत्री गोपाल भार्गव के केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने नौरादेही अभयारण्य का दैरा किया था. इसमें उन्होंने तमाम एंगल से अध्ययन किया. इसके बाद वैज्ञानिकों ने नौरादेही को चीतों के लिए उपयुक्त माना और शिफ्टिंग को लेकर सहमति दी.

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जानें नौरादेही अभयारण्य
नौरादेही अभयारण्य की स्‍थापना 1975 में हुई थी. सेंक्चुरी में बड़ी संख्या में वन्यजीव हैं और ये करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है. यहां मुख्य रूप से तेंदुओं की संख्या ज्यादा है. काफी संख्या में बाघ भी हैं लेकिन, संरक्षण की कमी के कारण इनकी संख्या लगातार गिरी है. 2018 में सरकार ने यहां नए बाघ और बाघिन छोड़े थे. यहां बड़ी संख्या में चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लकड़बघ्घा, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, मोर, चीतल भी हैं.

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