MP Politics: सीएम मोहन यादव ने उज्जैन जिले में तीन गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया है, जिसके बाद कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध किया है.
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मध्य प्रदेश में एक बार फिर नाम बदलने की सियासत शुरू हो गई है, रविवार को सीएम मोहन यादव ने उनके गृह जिले उज्जैन में आने वाले तीन गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया तो सोमवार आते-आते इस मामले पर कांग्रेस का विरोध शुरू हो गया. जिसके बाद बीजेपी के नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया. ऐसे में एक बार फिर मध्य प्रदेश में नाम बदलने की सियासत शुरू हो गई है. क्योंकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब मध्य प्रदेश में गांवों या शहरों के नाम बदले गए हैं, इससे पहले भी नाम बदलते रहे हैं.
सीएम मोहन ने बदले तीन गांवों के नाम
दरअसल, सीएम मोहन यादव रविवार को उज्जैन जिले के दौरे पर पहुंचे थे. जहां उन्होंने तीन गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया. सीएम ने कहा कि उज्जैन जिले में आने वाले जहांगीरपुर का नाम जगदीशपुर होगा, जबकि गजनीखेड़ी अब चामुंडा माता नगर होगा और मौलाना गांव का नाम विक्रम नगर होगा. सीएम ने बड़नगर में सभा करते हुए बयान दिया था कि 'सरकार ऐसे स्थानों के नाम बदलने का काम करेगी, जिनका नाम लेने में जुबान अटकती है या कलम अटक जाती है' जिसके बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है.
आरिफ मसूद ने साधा निशाना
कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने इस मामले में भाजपा सरकार पर निशाना साधा. मसूद ने कहा 'मुख्यमंत्री को सोच समझ कर बोलना चाहिए, मौलाना से तकलीफ है, अंबेडकर से भी तकलीफ है. मुख्यमंत्री को मौलानाओं से इसलिए तकलीफ है, क्योंकि आजादी की लड़ाई मौलानाओं ने लड़ी और इनके संगठन के लोगों ने आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं निभाई, इसलिए इन्हें मौलानाओं से तकलीफ है. आरएसएस पर नकेल कसने का काम मौलानाओं ने ही किया है, अंबेडकर जी ने किया है, इसलिए भी इन्हें मौलानाओं से तकलीफ है. मौलाना के नाम पर दिक्कत है तो फिर इनका विजन समझा जा सकता है इनका विजन क्या होगा.'
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बीजेपी का आरिफ मसूद पर पलटवार
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के बयान पर बीजेपी ने भी पलटवार किया. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा 'सरकार जन भावनाओं के अनुरूप निर्णय लेती है, जो नाम गुलामियों के प्रतीक है उन्हें बदल ही जाना चाहिए कुछ भी अच्छा होता है तो कांग्रेस को तकलीफ होती है.
पिछली सरकार में भी बदले थे नाम
बता दें कि मध्य प्रदेश में नाम बदलने की सियासत पुरानी है. पिछली सरकार के दौरान भी कई शहरों के नाम बदलने गए थे, जबकि इस बार भी सरकार ने ऐसी शुरुआत की है. 2023 में होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया था, जबकि नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भेंरूदा कर दिया गया था, बाबई का नाम बदलकर माखनपुर कर दिया गया था. इस तरह से नाम बदले गए थे, जबकि इस बार भी सरकार ने तीन नाम बदल दिए हैं. जिससे मध्य प्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा उठ रहा है.
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