Bhopal IT Raid Update: राजधानी भोपाल में हुए सौरभ शर्मा के घर छापेमारी में बड़ा खुलासा हुआ है. सौरभ के दौस्त चेतन गौर ने बताया कि सौरभ ने उसके नाम से कई जगह पर प्रापर्टी और गाड़ी ले रखी थी.जिसका इस्तेमाल वह खुद करता था. आइए जानते हैं सौरभ शर्मा कैसे बना इतने संपत्ति का मालिक?
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Bhopal IT Raid Update: भोपाल में रहने वाले परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों पर जब लोकायुक्त और इनकम टैक्स की टीम ने कार्रवाई की तो अधिकारी भी हैरान रह गए, क्योंकि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतने बड़े पैमाने पर सोने की जब्ती की गई है. इस मामले में सौरभ के दोस्त चेतन गौर से आईटी और लोकायुक्त की टीम लगातार पूछताछ कर रही है. पूछताछ के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ है.
दरअसल, आईटी की टीम ने चेतन गौर को कस्टडी में लेकर पूछताछ की. इस दौरान जब चेतन से उनके गाड़ी में इतने बड़े पैमाने पर सोना और कैश की बात पूछी गई.जिसका जवाब देते हुए चेतन गौर ने खुलासा किया कि चेतन के नाम से सौरभ ने ही गाड़ी खरीदी थी. इस गाड़ी का इस्तेमाल भी सौरभ ही करता था. लेकिन यह गाड़ी प्लाट तक किसने पहुंचाई इसका पता नहीं. चेतन गौर ने बताया कि सौरभ शर्मा ने उसके नाम से हौशंगाबाद रोड पर पट्रोल पंप, जीमन, मकान और स्कूल फ्रेंचाइजी ले रखी है.
कैसे छिपाया 2 नंबर का माल
जानकारी के मुताबिक, सौरभ शर्मा ने महज सात साल ही नौकरी की थी, ऐसे में इतनी संपत्ति मिलना अपने आप में हैरान करने वाली बात है. सौरभ शर्मा अपने 2 नंबर के माल को छिपाने के लिए बड़ी चालाकी की. उसने रेड से ठीक पहले अपने संपत्ति को बचाने के लिए सोने और कैश से भरी गाड़ी को जंगल में छिपा दिया. लेकिन देर ना करते हुए आयकर विभाग की टीम एक्टिव हुई और जंगल से सोना और कैश को बरामद कर लिया. बताया जा रहा है कि सौरभ को पता था कि अगर आयकर विभाग ने इसे पकड़ा तो वह आय से अधिक संपत्ति पर कुछ जुर्माना लगाकर वापस लौटा देगी, लेकिन अगर लोकायुक्त के पास अगर यह संपत्ति जब्त हो जाती तो केस की सुनवाई पूरी होने के बाद ही वापस मिल सकती थी. सौरभ शर्मा ने अपने माल को बचाने के लिए खुद की चाल चली थी और अपने दोस्त का चेतन गौर का खूब इस्तेमाल किया. यही नहीं छापेमारी के कुछ दिनों पहले वह विदेश भागकर खुद भी सेफ करने में भी सफल हो गया.
कैसे बना इतना संपत्ति का मालिक?
अब सवाल यह है कि परिवहन विभाग में नौकरी करने वाले सौरभ शर्मा ने आखिर इतनी संपत्ति कहां से लायी? मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में अनुकंपा से नौकरी मिली थी. सौरभ शर्मा ने अपने 2 नंबर के पैसे को 1 नंबर करने के लिए अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई थी. सौरभ ने पहले अपने स्टेनो रिश्तेदार के जरिए चिरूला बैरियर को ठेके पर लेकर चलवाया. इसके बाद जब उसे कमाई का चस्का लग गया तो वह यूपी और एमपी के सभी बैरियर का ठेका लेने लगा. बताया जाता है कि सौरभ अपने हिसाब से टीएसआई, आरटीआई को बैरियर का ठेका देता था. बैरियर की खुद बोली लगवाता था. लेकिन इस पर आदमी भी इसी के रहते थे. जो पूरा हिसाब-किताब रखते थे. इसके बाद बैरियर से आने वाले पूरे पैसे का हिसाब लेकर खुद ही पैसा बांटता भी था. सौरभ की इस मनमानी का विरोध भी होने लगा था. जब कुछ टीएसआई, आरटीआई ने इस तरह काम करने से इन्कार कर दिया तो सौरभ ने परिवहन विभाग की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
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