जलवायु परिवर्तन से भारत के मानसून पर खतरा, तैयारी नहीं की तो अंजाम भुगतने होंगे
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जलवायु परिवर्तन से भारत के मानसून पर खतरा, तैयारी नहीं की तो अंजाम भुगतने होंगे

Climate Change: शोधकर्ताओं ने 1982 से 2022 तक चार दशकों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले मौसम संबंधी डेटा की जांच की, जिसे भारतीय मानसून डेटा एसिमिलेशन एंड एनालिसिस प्रोजेक्ट (IMDAA) से प्राप्त किया गया है.

जलवायु परिवर्तन से भारत के मानसून पर खतरा, तैयारी नहीं की तो अंजाम भुगतने होंगे

Indian Monsoon Patterns: एक नए अध्ययन में पाया गया है कि भारत में मानसून का पैटर्न तेजी से बदल रहा है. अध्ययन का नेतृत्व शोध और नीति थिंक-टैंक, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के श्रवण प्रभु और विश्वास चितले ने किया. इस अध्ययन में पाया गया कि पिछले एक दशक में भारत में मानसून का पैटर्न तेजी से बदलता और अनियमित रहा है. यह मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन की तेज़ दर से प्रेरित है.

अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में जलवायु परिवर्तन का मानसून पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारों और समुदायों को इन बदलावों के लिए तैयारी करने की जरूरत है. अगर सही तैयारी नहीं की गई तो अंजाम अच्छा नहीं होने वाला है. 

अध्ययन के पांच प्रमुख निष्कर्ष:
1-
पारंपरिक रूप से सूखे कुछ क्षेत्रों में वर्षा बढ़ जाती है और कुछ उच्च मानसूनी वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा कम हो जाती है. उदाहरण के लिए, तमिलनाडु और उत्तराखंड में वर्षा में वृद्धि हुई है, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में वर्षा में कमी आई है.
2- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भारी वर्षा की घटनाएं अधिक होती हैं. उदाहरण के लिए, गोवा और महाराष्ट्र में भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
मानसून पैटर्न में बदलाव कृषि उत्पादन और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकता है. उदाहरण के लिए, सूखे के कारण फसलों की पैदावार कम हो सकती है, और भारी वर्षा के कारण बाढ़ और भूस्खलन हो सकता है.

3- मानसून पैटर्न में बदलाव कृषि उत्पादन और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकता है. इससे फसलों की पैदावार कम हो सकती है और सूखा, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है.
4- वर्षा पूरे मौसमों और महीनों में समान रूप से वितरित नहीं होती है. उदाहरण के लिए, पश्चिमी भारत में शुरुआती मानसून की बारिश में वृद्धि हुई है, जबकि पूर्वी भारत में देर से मानसून की बारिश में कमी आई है.
5- कुछ क्षेत्रों में पूर्वोत्तर मानसून वर्षा में भी वृद्धि हुई है. उदाहरण के लिए, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पूर्वोत्तर मानसून की बारिश में वृद्धि हुई है.

जलवायु परिवर्तन के कारण बदलाव
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे हैं. जलवायु परिवर्तन से वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है, जिससे वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ रही है. यह बदले में, अधिक भारी वर्षा और बारिश के पैटर्न में बदलाव का कारण बन रहा है.

कदम उठाने की आवश्यकता है
उनका यह भी कहना है कि इन बदलावों के लिए तैयार रहने के लिए भारत को कदम उठाने की आवश्यकता है. इनमें कृषि के तरीकों को बदलना, बाढ़ और भूस्खलन से निपटने के लिए उपाय करना और जल संसाधनों का प्रबंधन करना शामिल है.

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